संभल में मिले प्राचीन शिव मंदिर की कार्बन डेटिंग से होगी जांच, सर्वे के लिए आज पहुंचेगी ASI की टीम

संभल में मिले प्राचीन शिव मंदिर की कार्बन डेटिंग से होगी जांच, सर्वे के लिए आज पहुंचेगी ASI की टीम

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की टीम आज उत्तर प्रदेश के संभल का दौरा करेगी। ASI की टीम शिव मंदिर और वहां मिले कुएं जिसकी खुदाई की जा रही है उसका सर्वे करेगी। इस सर्वे के माध्यम से ASI यह जानने की कोशिश करेगी कि ये मंदिर और कुआँ कितना पुराना है। खग्गुसराय क्षेत्र में 46 साल बाद प्राचीन कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर खोला गया था। इस मंदिर के पास स्थित कुएं और मूर्तियों की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई की टीम संभल पहुंच रही है।

एएसआई टीम के आने की सूचना को लेकर जिला प्रशासन तैयारियों में लगा हुआ है। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ASI निरीक्षण करके जांच करने की कोशिश करेगी ये मंदिर और कुआं कौन सी सदी का है और इसका महत्व क्या है। ASI की 4 सदस्यों की टीम मंदिर और कुएं का सर्वे करेगी।

बता दें कि 46 वर्षों तक बंद रहने के बाद पिछले सप्ताह खोले गये भस्म शंकर मंदिर के कुएं में तीन खंडित मूर्तियां मिली हैं। श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को 13 दिसंबर को पुनः खोल दिया गया था, जब अधिकारियों ने कहा था कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उन्हें यह ढांचा मिला था। मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति और शिवलिंग स्थापित था। यह 1978 से बंद था। मंदिर के पास एक कुआं भी है ।

कुएं में से निकली खंडित मूर्तियां

प्रशासन द्वारा मंदिर के पास बने कुएं की खुदाई को 20 फीट के बाद रोक दिया गया था। कुएं में से कई खंडित मूर्तियां निकल रही थीं। इसी को देखते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम को प्रशासन की तरफ से अवगत कराया गया। इसके बाद अब ASI की टीम आज शिव मंदिर पर पहुंचेंगी। जानकारी के मुताबिक, ASI की टीम में उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी, सहायक पुरातत्व अधिकारी और सर्वेक्षक रहेंगे।

सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा

यह मंदिर खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जो शाही जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है। इस मस्जिद में 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर किए गए सर्वे के दौरान विरोध प्रदर्शन होने पर हिंसा हुई थी। जिला प्रशासन ने कुंए और मंदिर की ‘कार्बन डेटिंग’ के वास्ते भारतीय पुरात्व सर्वे को चिट्ठी लिखी थी। ‘कार्बन डेटिंग’ प्राचीन स्थलों से मिली पुरातात्विक कलाकृतियों के काल निर्धारण की एक प्रविधि है। मंदिर की चौबीसों घंटे सुरक्षा की जा रही है।


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