सिपाही से एसडीएम बने श्याम बाबू की नियुक्ति रद्द, जाति प्रमाण पत्र फर्जी होने पर हुई कार्रवाई

अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्रमाण पत्र के आधार पर वर्ष 2016 की पीसीएस परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित होकर सिपाही से एसडीएम बने बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के इब्राहिमाबाद उपरवार निवासी श्याम बाबू की नियुक्ति निरस्त कर दी गई है। कई स्तर पर हुई जांच में प्रमाण पत्र फर्जी साबित होने के बाद अपर मुख्य सचिव ने यह आदेश जारी किया। श्याम बाबू की तैनाती बतौर उप जिलाधिकारी (परिवीक्षाधीन) संतकबीर नगर में थी।

श्याम बाबू ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में सिपाही रहते हुए वर्ष 2016 में पीसीएस की मेरिट सूची में अपनी जगह बनाई। गोंड जाति के श्याम बाबू ने एसटी का प्रमाण पत्र लगाया था। नियुक्ति के बाद मूल आदिवासी जनजाति कल्याण संस्था गोरखपुर के अध्यक्ष विजय बहादुर चौधरी ने श्याम बाबू के विपक्ष में जिलास्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति की ओर से जून 2019 में जारी आदेश को निरस्त करने के लिए मंडलीय अपीलीय फोरम में अपील की।

इस संबंध में कमिश्नर की अध्यक्षता में मार्च 2020 में बैठक हुई। इसमें बलिया के सीआरओ प्रवरशील बरनवाल, उप निदेशक पंचायत राम जियावन व समाज कल्याण के उप निदेशक सुरेश चंद्र के साथ ही अपीलकर्ता व श्याम बाबू भी मौजूद हुए।

यहां शिकायतकर्ता ने कहा कि श्याम बाबू का एसटी का प्रमाण पत्र हेराफेरी पर आधारित है। बैरिया के तहसीलदार ने अपनी आख्या में श्याम बाबू को एसटी का नहीं माना है। यह भी बताया कि उच्च न्यायालय में दायर याचिका के जवाब में बलिया के डीएम व बांसडीह तहसीलदार की ओर से पत्र दाखिल किया गया है कि बलिया में ये जनजाति नहीं पाई जाती है।

नवंबर 2017 को मंडलीय अपीलीय फोरम में भी कहा गया है कि गोंड जनजाति केवल उनके लिए है जो कैमूर अथवा झांसी मंडल से विस्थापित होकर आए हैं, न कि बलिया में पहले से निवास कर रहे हैं। इसके अलावा भी शिकायतकर्ता ने तहसील व जिला स्तर से जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्याम बाबू के एसटी प्रमाण पत्र को फर्जी बताया।

अपीलीय फोरम ने स्थलीय जांच आख्या का भी परीक्षण किया। इसमें श्याम बाबू के गांव के अलग-अलग लोगों का बयान लिया गया है। लोगों ने बताया है कि श्याम बाबू व उनके पूर्वज कई पुश्तों से इब्राहिमाबाद में ही रहते हैं। किसी दूसरे जिले से नहीं आए हैं। जबकि शासनादेश में स्पष्ट है कि मिर्जापुर (अब सोनभद्र) जिले के कैमूर माला को छोड़कर उत्तर प्रदेश में गोंड समुदाय के लोग नहीं रहते हैं।

स्थलीय सत्यापन के दौरान गांव के लोगों ने यह भी बताया कि श्याम बाबू के पूर्वजों का पेशा खेती-बारी, मजदूरी व भूजा भूजने का है। स्थानीय स्तर पर भूजा भूजने का काम भड़भूजा करते थे। इसका गोंड जाति से कोई संबंध नहीं हैं क्योंकि यह पिछड़ी जाति में है।

मंडलीय अपीलीय फोरम द्वारा उपलब्ध कराए गए निर्णय के आधार पर अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल ने अपने आदेश में कहा है कि जिस आधार पर श्याम बाबू का चयन पीसीएस परीक्षा में हुआ था, वह आधार ही दूषित व कपटपूर्ण है। लिहाजा, राज्यापाल लोक सेवा आयोग (उत्तर प्रदेश, प्रयागराज) द्वारा श्याम बाबू की एसडीएम (परिवीक्षाधीन) के पद पर की गई मौलिक नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश प्रदान करते हैं।

 


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