‘वो ताकत दुन‍िया में नहीं बनी जो…’, प्रयागराज में आंदोलनकारी अभ्यर्थियों पर कार्रवाई से भड़के अखि‍लेश

‘वो ताकत दुन‍िया में नहीं बनी जो…’, प्रयागराज में आंदोलनकारी अभ्यर्थियों पर कार्रवाई से भड़के अखि‍लेश
नई द‍िल्‍ली। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर पीसीएस (PCS) और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन, एक शिफ्ट में कराने की मांग कर रहे छात्रों पर पुलिस कार्रवाई को लेकर सपा प्रमुख अखि‍लेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है।
अखि‍लेश ने कहा क‍ि भाजपा की अहंकारी सरकार अगर ये सोच रही है कि वो इलाहाबाद में UPPSC के सामने से आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को हटाकर, युवाओं के अपने हक़ के लिए लड़े जा रहे लोकतांत्रिक आंदोलन को ख़त्म कर देगी, तो ये उसकी ‘महा-भूल’ है। आंदोलन तन से नहीं मन से लड़े जाते हैं और अभी तक वो ताक़त दुनिया में नहीं बनी जो मन को हिरासत में ले सके।

पुल‍िस की कार्रवाई से उग्र हुआ आंदोलन

एक दिवसीय परीक्षा की बहाली और नॉर्मलाइजेशन को रद्द करने की मांग को लेकर प्रत‍ियोगी छात्र सोमवार से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह हुए घटनाक्रम ने आंदोलन को और हवा दे दी है।

प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बलपूर्वक हस्तक्षेप किया, जिसमें सादी वर्दी में आए पुलिसकर्मियों ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता आशुतोष पांडे सहित कई अन्य छात्रों को हिरासत में ले लिया। इस कार्रवाई से प्रदर्शन स्थल पर अफरा-तफरी मच गई और छात्रों में गुस्सा फूट पड़ा। छात्रों ने इस अपहरण करार देते हुए आंदोलन को और तेज करने का ऐलान कर दिया है।

प्रयागराज में प्रदर्शन पर स‍ियासत

प्रयागराज में अभ्‍यर्थि‍यों के प्रदर्शन को लेकर स‍ियासत गर्म है। केशव मौर्य ने इससे पहले सपा प्रमुख अखि‍लेश यादव पर हमला बोला था। केशव मौर्य ने एक्‍स पर पोस्‍ट करते हुए कहा था क‍ि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हमारी प्राथमिकता है कि सभी प्रतियोगी परीक्षाएं पारदर्शी और निष्पक्ष हों, मानकीकरण की समस्या का भी समाधान हो, जिससे हर योग्य उम्मीदवार को उसका हक मिले।

‘सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें बहत्तर छेद हैं’

केशव मौर्य ने आगे कहा, ”दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने कार्यकाल के काले कारनामे भूलकर राजनीतिक लाभ के लिए छात्रों की भावनाओं का राजनीतिकरण कर रहे हैं। “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें बहत्तर छेद हैं” – आंदोलन की आड़ में माहौल बिगाड़ने की इनकी कोशिशों को समझदार प्रतियोगी छात्र भली-भांति समझते हैं। इस रुख के साथ सपा का “समाप्तवादी पार्टी” बनना तय है।”


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