तेलंगाना मुठभेड़ की होगी न्यायिक जांच, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोगों को सच्चाई पता चलनी चाहिए
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को तेलंगाना मुठभेड़ पर सुनवाई की। जिसमें मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने एक स्वतंत्र जांच आयोग गठन करने का आदेश दिया है। जिसमें तीन सदस्य शामिल होंगे। इस आयोग की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस वीएस सिरपुरकर करेंगे। जांच आयोग के अन्य सदस्यों में बंबई उच्च न्यायालय की न्यायाधीश रेखा संदूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में सौंपनी है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने इसके साथ ही तेलंगाना उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में इस घटना के संबंध में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी है। पीठ ने मुठभेड़ के इस मामले में विशेष जांच दल की रिपोर्ट तलब करने के साथ ही कहा कि अगले आदेश तक जांच आयोग के समक्ष लंबित इस मामले में कोई अन्य प्राधिकार इसकी जांच नहीं करेगा। न्यायालय ने तीन सदस्यीय जांच आयोग को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट पेश करने की छह महीने की समय सीमा आयोग के समक्ष सुनवाई शुरू होने के पहले दिन से शुरू होगी और इसे छह दिसंबर की घटना की जांच करने के लिए जांच आयोग कानून के तहत सभी अधिकार प्राप्त होंगे। पीठ ने कहा कि इस घटना के बारे में परस्पर विरोधी तथ्यों को देखते हुए सच्चाई का पता लगाने के लिये जांच जरूरी है।
पीठ ने तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल इस घटना की जांच कर रहा है और वह अपनी रिपोर्ट देगा।
पीठ को यह भी बताया गया कि विशेष जांच दल इन चार व्यक्तियों की मौत की कारणों की भी जांच कर रही है जो पशु डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म के आरोप थे और उन्हें घटनास्थल पर ले जाने वाले खिलाफ पुलिस अधिकारियों की हत्या के प्रयास के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विशेष जांच दल की जांच के बाद मृत व्यक्तियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और न ही उन्हे सजा दी सकती है।
पीठ ने कहा, ‘हम नहीं समझ पा रहे कि यह कैसे प्रमाणित किया जाए कि ऐसे मुकदमे से इस घटना से संबंधित सच्चाई का पता कभी भी पता लग सकेगा जिसमें कहा जाता है कि पुलिस ने मुठभेड़ की और इसमें चारों आरोपी मारे गए।’
पीठ ने कहा कि इसलिए हमारी राय है कि छह दिसंबर की सुबह हैदराबाद में चारों आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की परिस्थितियों की जांच करने के लिए जांच आयोग गठित करने की आवश्यकता है।