जम्मू: नौकरानी से धोखे से शादी एवं दुष्कर्म के दोषी निलंबित सिविल जज (सीनियर डिवीजन) एवं सब जज राजेश कुमार अबरोल को बर्खास्त कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के फुल कोर्ट की संस्तुति पर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311 का उपयोग करते हुए यह कार्रवाई की। कानून एवं संसदीय मामलों के विभाग के सचिव की ओर से जारी आदेश में अबरोल की सेवाएं 21 अक्टूबर से समाप्त की मानी जाएंगी।

गौरतलब है कि 23 अक्टूबर को जज राजेश अबरोल को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 वर्ष की जेल और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी। यह मामला जम्मू कश्मीर में न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार सामने आया था।

कब हुआ मामला

मामले के अनुसार,12 जनवरी, 2018 को जानीपुर पुलिस स्टेशन में रामबन की एक महिला ने न्यायिक अधिकारी राजेश के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। मौजूदा समय में नगरोटा में बेटी के साथ रह रही पीडि़ता ने शिकायत में कहा कि वह राजेश के पास कानूनी मदद के लिए गई थी। उसने भरोसा दिया कि वह उसकी मदद भी करेगा और उसकी बेटी को अच्छी शिक्षा भी दिलवाएगा। इसके बाद महिला को अपने घर में घरेलू कामकाज के लिए रखा। पांच हजार भी देने की बात कही। महिला के पति से एक डीड बनवाकर उसका तलाक भी करवा दिया।

कुछ समय बाद जब महिला के माता-पिता उसे लेने आए, तो जाने नहीं दिया। निलंबित सब जज ने उसकी मांग को बभूत से भरकर कहा कि वह आज से उसकी पत्नी है। उसने महिला को बताया कि वह सात वर्ष से अकेला ही रहता है। उसकी पत्नी से उसका अलगाव हो चुका है। उसने खुद को काननू का जानकार बताकर बताया कि वह सभी कानूनी औपचारिकताएं जानता है। आज से वह उसकी पत्नी है। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म भी किया। पीडि़ता का आरोप है कि घर में अपने दोस्त और पीएसओ के सामने डोडा के एक पंडित को बुलाकर शादी की। शादी के एक वर्ष बाद उसे पता चला कि राजेश दो बार पहले भी शादी कर चुका था। उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया था, जबकि उसकी दूसरी पत्नी अब भी उसकी कानूनन पत्नी है। यह पता चलने के बाद महिला ने राजेश कुमार पर दुष्कर्म व धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया था। आरोपित न्यायिक अधिकारी था, इसलिए उसकी शिकायत को एसएसपी जम्मू के पास भेजा। इसके बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से अनुमति के बाद कार्रवाई शुरू की गई और उसे दोषी करार दिया गया।