Surya Rashi Parivartan 2020: वृश्चिक संक्रांति का हुआ प्रारंभ, जानें देश-दुनिया पर क्या पड़ेगा प्रभाव

Surya Rashi Parivartan 2020: वृश्चिक संक्रांति का हुआ प्रारंभ, जानें देश-दुनिया पर क्या पड़ेगा प्रभाव

Surya Rashi Parivartan 2020: ग्रहों के राजा सूर्य ने 16 नवंबर को अपनी राशि परिवर्तन कर ली है। सूर्य अपनी नीच राशि तुला से निकलकर अपनी मित्र राशि वृश्चिक में गोचर कर चुके हैं। इसके बाद यह 15 दिसंबर 2020 तक इसी राशि में रहेंगे। उसके बाद सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य की राशि सिंह होती है। अगर जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है, तो उसे मान-सम्मान और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जातक की कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आंख और ह्रदय संबंधी रोग हो सकते हैं। माना जाता है सूर्य के अशुभ प्रभाव से जातक के सरकारी काम में भी बाधा आती है।

वृश्चिक राशि वालों को मिलेंगे सुखद परिणाम 

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में वैवाहिक जीवन में रोमांस बढ़ सकता है। वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य का राशि परिवर्तन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य इसी राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस गोचर के दौरान सूर्य आपके स्व घर में प्रवेश करेंगे। सूर्य आपके बिजनेस और करियर के दसवें भाव का स्वामी है। सूर्य इस गोचर के दौरान आपके पहले घर में स्थित होने जा रहा है। इस गोचर के दौरान वृश्चिक राशि वाले अपने करियर को लेकर फोकस रहेंगे। काफी समय से टले हुए कार्यों को पूरा करने की कोशिश करेंगे। इस राशि के जातकों को उनके उच्च अधिकारियों से तारीफ भी मिल सकती है।

वृश्चिक संक्रांति का प्रभाव

सूर्य के वृश्चिक राशि में आने से गलत काम बढ़ सकते हैं यानी चोरी और भ्रष्टाचारी लोगों के बढ़ने की आशंका है। वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है। मंगल की राशि में सूर्य के आ जाने से 16 दिसंबर तक कई लोगों के लिए कष्टपूर्ण समय हो सकता है। कई लोग खांसी और ठण्ड से पीड़ित हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सूर्य का अशुभ असर देखने को मिलेगा। राष्ट्रों के बीच संघर्ष बढ़ सकता है। आसपास के देशों से भारत के संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।

वृश्चिक संक्रांति

सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है और जब सूर्य तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष में कुल 12 संक्रांति आती है और हर राशि में सूर्य 1 महीने तक रहते हैं। सूर्य के इसी भ्रमण की स्थिति को संक्रांति कहा जाता है। संक्रांति को बहुत ही पवित्र दिनों में से एक माना जाता है, इसलिए इसे हिन्दू धर्म में पर्व भी कहा गया है।

दान-पुण्य का महत्व

संक्रांति के दिन दान-पुण्य करना का बेहद खास महत्व माना जाता है, इसलिए बहुत से लोग इस दिन भी वस्तुएं और खान-पान की चीजें गरीबों में दान करते हैं। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु पूजा और दान का खास महत्व होता है। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का भी खास महत्व होता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन की 16 घड़ियों को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। यह दान संक्रांति काल में करना अच्छा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति में ब्राह्मण को गाय दान करने का खास महत्व होता है।