कठुआ दुष्कर्म : आरोपी के नाबालिग होने पर संशय, जुवेनाइल बोर्ड की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के एक नाबालिग आरोपी के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोक लगा दी।
कोर्ट ने यह रोक जम्मू-कश्मीर प्रशासन के उस दावे के बाद लगाई, जिसमें कहा गया था कि 2018 में वारदात के वक्त आरोपी बालिग था और जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने गलती से निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगा दी थी। प्रशासन का दावा है कि अपराध के वक्त आरोपी बालिग था। मामले पर अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और याचिकाकर्ताआें की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस पतवालिया की अर्जी को ध्यान से पढ़ने और उनकी मजबूत दलीलों को सुनने के बाद हम कठुआ में किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष लंबित कार्यवाही को रोकने का निर्देश देते हैं।
पतवालिया ने दी थी यह दलील
हाईकोर्ट ने यह परीक्षण भी नहीं किया कि आरोपी की जन्मतिथि के बारे में निगम और स्कूल के रिकॉर्ड में विरोधाभास है। इस साल छह जनवरी को शीर्ष अदालत द्वारा कथित नाबालिग आरोपी को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद किशोर न्याय बोर्ड ने उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं रोकी।
उन्होंने कहा, यह आरोपी पूरी वारदात के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। 21 फरवरी, 2018 को हाईकोर्ट के आदेश पर गठित मेडिकल बोर्ड ने भी आरोपी की वारदात के वक्त उम्र 19 से 23 साल के बीच मानी थी।
छह आरोपियों को हो चुकी है सजा
पठानकोट की विशेष अदालत ने बीते साल 10 जून को एक मंदिर के पुजारी सांझीराम समेत तीन मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि मामले में सुबूत मिटाने के लिए तीन पुलिसवालों को पांच वर्ष जेल की सजा और 50-50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी। वहीं, सांझीराम के बेटे विशाल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था।