दान और धर्म को लेकर सर्वोच्च अदालत की अहम टिप्पणी

New Delhi : देश की सर्वोच्च अदालत की ओर से जबरदस्ती धर्मांतरण और दान को लेकर अहम टिप्पणी दी है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि, दान और समाज सेवा करना अच्छी बात है लेकिन, इसके बहाने या इसकी आड़ में जोर जबरदस्ती के साथ धर्मांतरण कराया जाना भी पूरी तरह गलत है. दान और सेवा का मकसद धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, हर इंसान को धर्म की स्वतंत्रता है, लेकिन किसी को जबरन या उसकी इच्छा के विरुद्ध या फिर लालच देकर उसका धर्म परिवर्तन कराना गलत है. ये भी एक तरह का धोखा है.
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार से अब तक उठाए गए सभी कदमों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. यही नहीं इस मामले में अगली सुनवाई अगले सोमवार यानी 12 दिसंबर को सुनवाई होगी.
ये है पूरा मामला
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच जबरन धर्मांतरण मामले पर सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान कोर्ट की ओर से बड़ी टिप्पणी दी गई है. कोर्ट ने कहा कि, धर्म परिवर्तन की शर्त पर दान या सेवा जायज नहीं है. यही नहीं कोर्ट ने कहा कि, हर तरह के दान या अच्छे काम का स्वागत है, लेकिन जिस चीज पर विचार किया जाना जरूरी है, वह है उद्देश्य, धर्म परिवर्तन को लेकर जबरदस्ती या प्रलोभन ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को बहुत गंभीर मामला माना.
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दर्ज की गई है याचिका पर सुनवाई की जा रही थी. इसमें केंद्र और राज्यों को धमकी, धोखे से उपहार और मौद्रिक लाभ के जरिए धार्मिक रूपांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
वहीं पूरे मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विस्तृत जानकारी देने के लिए कोर्ट से समय की मांग की है. सॉलिसिटर ने कहा कि, हम राज्यों से जानकारी एकत्र कर रहे हैं, इस प्रक्रिया में एक हफ्ते का समय लगेगा. लिहाजा इतना वक्त दिया जाए.