ठाकरे और शिंदे गुट के मामले पर सात जजों की बड़ी पीठ करेगी सुनवाई! सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
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- महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट की सत्ता की लड़ाई के मामले पर आज सुप्रीम फैसला आना है। उद्धव गुट ने नबम रेबिया फैसला सात जजों के पास भेजने की मांग की है।
नई दिल्ली। हटाने का नोटिस लंबित रहने के दौरान स्पीकर को अयोग्यता तय करने से रोकने की व्यवस्था देने वाले नबम रेबिया फैसले को सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई करके गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट आज इसपर फैसला सुनाएगा। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के बीच सत्ता को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में उद्धव गुट ने नबम रेबिया फैसले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजने की मांग की है।
स्पीकर को हटाने को लेकर आएगा फैसला
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को इस मुद्दे पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अरुणाचल के नबम रेबिया के मामले में 2016 में फैसला दिया था। इसमें कहा था कि स्पीकर रिमूवल का नोटिस लंबित रहने के दौरान सदस्यों की अयोग्यता का मुद्दा नहीं तय कर सकता।
उद्धव गुट ने व्यवस्था को गलत बताया
उद्धव गुट की ओर से नबम रेबिया फैसले में दी गई व्यवस्था को गलत बताते हुए कहा गया कि उस पर पुनर्विचार की जरूरत है। यह व्यवस्था संविधान की 10वीं अनुसूची में स्पीकर को सदस्यों की अयोग्यता तय करने के दिए गए अधिकार को बाधित करती है। उद्धव गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामथ ने पक्ष रखते हुए कहा कि इससे तो कोई भी सदस्य जिसे अयोग्य ठहराए जाने का खतरा होगा, स्पीकर को हटाने का नोटिस देगा और स्पीकर उसकी अयोग्यता पर विचार नहीं कर पाएगा। ऐसी व्यवस्था लोकतंत्र और संविधान के मंतव्य के खिलाफ है।
शिंदे गुट का कहना था कि नबम रेबिया फैसला बिल्कुल ठीक है। हटाने का नोटिस लंबित रहने के दौरान स्पीकर की अयोग्यता तय करने पर रोक नहीं लगेगी तो स्पीकर अपने खिलाफ मामले को प्रभावित कर लेगा। पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह एक कठिन संवैधानिक मुद्दा तय करने के लिए है। दोनों ही स्थितियों में अगर नबम रेबिया फैसले को स्वीकार किया जाता है या उसे खारिज किया जाता है, गंभीर परिणाम होंगे। उसका राजनीतिक रूप से गंभीर प्रभाव होगा।