नई दिल्ली। त्रिपुरा में वकीलों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों के खिलाफ UAPA(Unlawful Activities Prevention Act) लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में UAPA की FIR को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि वे जल्द ही सुनवाई के लिए एक तारीख देंगे। वकील प्रशांत भूषण ने CJI से इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है। सीजेआइ ने कहा कि आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमने इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां ( UAPA) कानून को भी चुनौती दी है। इस पर CJI ने कहा कि वो जल्द सुनवाई की एक तारीख देंगे।
दरअसल, त्रिपुरा पुलिस ने वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों और कई सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ यूएपीए, आपराधिक साजिश और जालसाजी के आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं। इसके साथ ही ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को ऐसे अकाउंट को फ्रीज करने और खाताधारकों की साभी जानकारी देने के लिए नोटिस दिया गया है। अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान और बाद में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का कई समूहों ने रैलियां निकालकर विरोध किया था। इन रैलियों के दौरान घरों, दुकानों और कुछ मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ की घटनाओं सामने आई थीं। इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
क्या है यूएपीए कानून?
यूएपीए एक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को संकट में डालने के इरादे से भारत में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से किया कार्य आतंकवादी कृत्य है। इसमें बम धमाकों से लेकर जाली नोटों तक का कारोबार शामिल है। इसमें व्यक्ति को पांच साल से लेकर उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान