नई दिल्ली । बांबे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा, जिसने राज्य में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। उच्चतम न्यायालय ने 26 मार्च को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस मुद्दे पर लंबी सुनवाई में दायर उन हलफनामों पर भी गौर किया जाएगा कि क्या 1992 के इंदिरा साहनी फैसले (इसे मंडल फैसला भी कहा जाता है) पर बड़ी पीठ द्वारा पुनíवचार करने की जरूरत है, जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई थी। संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी।उच्च न्यायालय ने जून 2019 के कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है। रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए तथा नामांकन में यह 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

बंगाल का रियल एस्टेट कानून असंवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट

सत्ता में आते ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संघीय ढांचे और इसमें केंद्र और राज्य के अधिकारों की याद दिला दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट को रेगुलेट करने वाले बंगाल के कानून वेस्ट बंगाल हाउ¨सग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट (डब्लूबीएचआइआरए) 2017 को केंद्रीय कानून रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलेपमेंट एक्ट (रेरा) के खिलाफ बताते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि समवर्ती सूची के मामलों में संसद से बने कानून को प्राथमिकता दी जाती है। बंगाल में समानान्तर कानून लाने की जरूरत नहीं थी। यह भी कहा गया कि राज्य के कानून में फ्लैट खरीदारों के हित उस तरह संरक्षित नहीं किए गए हैं जैसे केंद्रीय कानून रेरा में हैं। राज्य ने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण किया है। पिछले कार्यकाल में केंद्र से तनातनी के बीच ममता अक्सर केंद्रीय योजनाओं और कानूनों की अनदेखी करती रही हैं। रेरा का मामला भी इसमें से एक था।

सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट ने बंगाल का कानून रद करते हुए स्पष्ट किया है कि कानून रद होने तक इस कानून के तहत निर्माण आदि की दी गई मंजूरियां और पंजीकरण वैध माने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला फोरम फार पीपुल्स कलेक्टिव एफ‌र्ट्स की ओर से दाखिल याचिका स्वीकार करते हुए सुनाया है।