सुप्रीम कोर्ट सिर्फ दिल्ली में होना ‘अन्याय’ है, रिटायर हो रहे जज ने कही ये बड़ी बात
- किरुबाकरण ने कहा कि सिर्फ नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट होने की वजह से उनलोगों के साथ अन्यया है जो राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास नहीं रहते हैं. उन्होंने शीर्ष अदालत से अपील की है कि वो रीजनल बेंच स्थापित करें, ताकि लोगों को सुविधा हो.
नई दिल्ली : मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस एन किरुबारण शुक्रवार को रिटायर हो गए. विदाई समारोह में जस्टिस एन किरुबाकरण ने सुप्रीम कोर्ट से देशभर में रीजनल बेंच स्थापित करने पर पुनर्विचार करने की अपील की. किरुबाकरण ने कहा कि सिर्फ नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट होने की वजह से उनलोगों के साथ अन्यया है जो राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास नहीं रहते हैं. उन्होंने शीर्ष अदालत से अपील की है कि वो रीजनल बेंच स्थापित करें, ताकि लोगों को सुविधा हो. शुक्रवार यानी 20 अगस्त को मद्रास हाईकोर्ट के सीनियर जजों में से एक जस्टिस किरूबाकरण रिटायर्ड हो गए.अपने विदाई समारोह में आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक पक्ष में रीजनल बेंच की स्थापना को खारिज कर दिया था.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट निर्णय पर पुनविर्चार करेगा और रीजनल बेंच की स्थापना की अनुमति देगा. उन्होंने आगे कहा कि न्यायपालिका में दिल्ली और बॉम्बे पावर सेंटर है. सुप्रीम कोर्ट में राज्यों का ठीक से प्रतिनिधत्व नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बारे में सुप्रीम कोर्ट कोई पहल नहीं करता है तो केंद्र सरकार को क्षेत्रीय ब्रांच शुरू करने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहिए.
2011 में बनाए गए थे स्थायी न्यायाधीश
बता दें कि जस्टिस किरुबाकरण 31 मार्च 2009 में हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए थे. 2011 में वे स्थायी न्यायाधीश बनाए गए थे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए. दोपहिया सवार के लिए हेलमेट अनिवार्य करना हो या फिर शराब की दुकानों को बंद करने का मसाल हो. जे दीपा और जे दीपक को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी घोषित करने जैसे फैसले शामिल हैं.
नागरिक मुद्दों और जनहित के मामलों पर था सक्रिय रुख
जस्टिस किरुबाकरण को नागरिक मुद्दों और जनहित के मामलों के प्रति सक्रिय नजरिया रखने के लिए जाना जाता है. अपने कार्यकाल को याद करते हुए संबोधन में किरुबाकरण ने कहा कि फैसला लेते समय मुझे धर्म द्वारा निर्देशित किया गया. हालांकि मैं अपनी चेतना से न्याय प्रदान करता था. आज संतुष्टि के साथ पद छोड़ रहा हूं.