नई दिल्ली। केंद्र द्वारा लाए गए दिल्ली अध्यादेश की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। कोर्ट ने दिल्ली अध्यादेश का मामला 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेज दिया है।

उपराज्यपाल की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि संसद में बिल पेश हो जाने के बाद अध्यादेश के मसले पर विचार की जरूरत ही नहीं रहेगी। इस बात पर सीजेआई ने कहा कि हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते हैं।

जल्द तय होगी सुनवाई की तारीख: कोर्ट

इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि  इस बात पर सुनवाई होगी कि सेवाओं को अध्यादेश के जरिए विधानसभा के दायरे से बाहर करना सही है या नहीं। कोर्ट ने आगे जानकारी दी कि आदेश शाम तक अपलोड होगा। उसमें सुनवाई की तारीख भी बताई जाएगी। अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

मुमकिन है कि मानसून सत्र में अध्यादेश पारित हो: तुषार मेहता

इस अध्यादेश को लेकर  सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने कहा है कि  मॉनसून सत्र में अध्यादेश पर चर्चा होगी। मुमकिन है कि संसद से अध्यादेश को पारित किया जाए।

जानें क्या है दिल्ली अध्यादेश

दिल्ली अध्यादेश 2023 के तहत दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों (ग्रुप-ए) के ट्रांसफर और नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है। इस अध्यादेश के तहत केंद्र ने नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन किया है।

इस अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव को सदस्य बनाया गया है। गौरतलब है कि यही अथॉरिटी दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का फैसला करेगी। हालांकि, अथॉरिटी के बीच किसी तरह का विवाद खड़ा हुआ तो अंतिम फैसले उपराज्यपाल करेंगे।

जानकारी के मुताबिक, इस मानसून सत्र में केंद्र सरकार इस अध्यादेश को पास कराने की कोशिश करेगी। इस अध्यादेश का आम आदमी पार्टी और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।