संदेशखाली पर ममता सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, SC ने कहा- ‘किसी शख्स को बचाने की क्यों हो रही कोशिश’
New Delhi: पश्चिम बंगाल सरकार को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका लगा. दरअसल, शीर्ष कोर्ट ने ममता सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. पूरा मामला संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण और राशन घोटाले से जुड़ा हुआ था. सभी मामलों में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. जिनके खिलाफ ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच थी. हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार की याचिका को खारिज कर दिया.
सरकार के रवैये पर उठाए सवाल
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सरकार किसी शख्स को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है!
सीबीआई जांच का दिया था आदेश
दरअसल, पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद टीएमसी ने शाहजहां शेख को पार्टी से निष्कासित कर दिया. लेकिन पूरे मामले में ममता सरकार विपक्ष के निशाने पर रही. इस मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई से जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद ममता बनर्जी ने संदेशखाली मामले में सीबीआई जांच के आदेश के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया.
इस मामले में 29 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी. पिछली सुनवाई में जस्टिस गवई ने इस पर सवार उठाए थे. उन्होंने कहा था कि, किसी व्यक्ति को बचाने के लिए राज्य सरकार याचिकाकर्ता के तौर पर क्यों आई है? इस पर ममता सरकार के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा था, राज्य सरकार की लगातार कार्रवाई के बावजूद ये कमेंट आया है.
सोमवार को ममता सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले की सुनवाई टालने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसी अन्य वजह से ये याचिका लगाई गई है. सिंघवी ने कहा कि, सिर्फ संदेशखाली ही नहीं यह याचिका राशन घोटाले से भी जुड़ी हुई है. जिसमें 43 एफआईआर दर्ज हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच उनकी दलील नहीं मानी और बंगाल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया.