‘संविधान को कूडे़दान में नहीं फेंकने देंगे’, सुधांशु त्रिवेदी ने तेजस्वी यादव पर किया तीखा वार

नई दिल्लीः राजनीतिक बयानबाज़ी के इस दौर में जहां हर दल जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है, वहीं हाल ही में एक ऐसा बयान सामने आया जिसने संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर नई बहस छेड़ दी है. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है जिसमें वक्फ एक्ट को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की गई.
तेजस्वी यादव के बयान पर बीजेपी का पलटवार
बिहार के पटना में हाल ही में एक रैली के दौरान तेजस्वी यादव ने वक्फ एक्ट को लेकर कहा था कि “हम इस कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे.” इस बयान ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की संस्थाओं — संसद और न्यायपालिका — के सम्मान पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया.
सुधांशु त्रिवेदी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस गांधी मैदान में कभी आपातकाल के विरोध में लाखों लोगों ने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए आवाज उठाई थी, आज उसी मैदान से कोई नेता यह कह रहा है कि संसद द्वारा पारित कानून को फेंक दिया जाएगा.”
संविधान को कूड़ेदान में नहीं जाने देंगे: त्रिवेदी
बीजेपी सांसद ने यह साफ किया कि एनडीए और बीजेपी संविधान की रक्षा को सर्वोपरि मानती है. उन्होंने कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान देश की आत्मा है. अगर कोई व्यक्ति या गठबंधन इसे नजरअंदाज कर किसी खास वर्ग या वोट बैंक को खुश करने के लिए इस तरह की बात करता है, तो यह न सिर्फ गलत है बल्कि खतरनाक संकेत है.”
शरिया कानून लागू करने की मंशा?
त्रिवेदी ने विपक्षी दलों से यह भी सवाल पूछा कि क्या वे भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में शरिया कानून लागू करना चाहते हैं? उन्होंने कहा, “बिहार में क्या सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की या ISIS जैसे कानून लाए जाने की तैयारी हो रही है? हमें इसका सीधा और स्पष्ट उत्तर चाहिए.”
‘समाजवाद’ या ‘संपत्ति पर विशेषाधिकार’?
राजद और समाजवादी पार्टी जैसे दलों पर निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने कहा कि जब समाजवाद की बात होती है तो उसका अर्थ होता है संसाधनों का समान वितरण. लेकिन अगर आप 49 लाख एकड़ वक्फ की ज़मीन पर केवल कुछ लोगों के अधिकार की बात कर रहे हैं, तो यह समाजवाद नहीं, बल्कि वर्ग विशेष को फायदा पहुंचाने की मानसिकता है.