धनंजय सिंह का ऐसा था दबदबा, 33 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार हुई सजा; हर बार मुकर जाते थे गवाह

जौनपुर। अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में सात साल की सजा पाए पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) के 33 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार सजा हुई है। पूर्व सांसाद पर 1991 में पहला मुकदमा लाइन बाजार थाने में गाली व धमकी देने, बलवा व संपत्ति को क्षति पहुंचाने का दर्ज हुआ था।
फर्जी एनकाउंटर के बाद धनंजय आए सुर्खियों में
बनसफा गांव में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कालेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी। वहीं, पर अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या आदि मुकदमों में नाम आने की वजह से सुर्खियों में रहा।
अक्टूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य बदमाशों के साथ भदोही-मीरजापुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे।
दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों बदमाश मारे गए। हालांकि, धनंजय जिंदा थे और भूमिगत हो गए। फरवरी 1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश हुए तो भदोही की फर्जी मुठभेड़ का राजफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिस कर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।
2020 में रात 2.50 बजे धनंजय हुए थे गिरफ्तार, गाड़ी ली गई थी कब्जे में
10 मई 2020 को रात दस बजे अभिनव सिंघल ने धनंजय सिंह व संतोष विक्रम के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था और रात 2.50 बजे आवास से धनंजय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके घर में खड़ी फार्च्यूनर गाड़ी को भी पुलिस ने कब्जा में लिया था।
धनंजय ने वादी को किया गया था बीस फोन व वाट्सएप काल
धनंजय सिंह ने इंडिया के नाम से जारी मोबाइल फोन से संतोष द्वारा वादी के मोबाइल नंबर पर 18 जनवरी 2020 से 10 मई 2020 को समय 7.31 बजे शाम तक 20 बार काल की गई थी। इस मोबाइल का प्रयोग धनंजय स्वयं व संतोष विक्रम करते हैं। अभिनव के अधिकारी मोहनलाल सिंघल के मोबाइल पर घटना के दिन के सीडीआर से स्पष्ट हुआ कि धनंजय ने वाट्सएप काल से भी काल कर बात की थी।
घटना के चार माह पूर्व धनंजय के लोग दिए थे धमकी
कोर्ट के निर्णय में उल्लेख है कि विवेचना के दौरान साक्षी हरेंद्र पाल ने बयान दिया कि वह नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पचहटिया में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था। 10 मई 2020 की शाम 5.43 बजे अभिनव सिंघल ने अपने मोबाइल से उसे मैसेज किया कि धनंजय के आदमी उसे घर ले गए हैं। पुलकित सर को तत्काल सूचित करें। यह देखकर उसने अपने एमडी मोहनलाल सिंघल के बेटे पुलकित सिंघल को अपहरण की घटना की जानकारी दी।
इसके पहले जनवरी माह में भी धनंजय सिंह के कुछ लोग साइट पर आकर एमडी को जबरन अपनी गिट्टी व रेत की आपूर्ति के लिए धमकाए थे। 10 मई 2020 को संतोष विक्रम सिंह अपने साथ दो अन्य लड़कों के साथ काले रंग की फार्च्यूनर गाड़ी में ले गए थे।
एफआइआर के बाद मिली थी धमकी, वादी को मिले थे सुरक्षा गार्ड
कोर्ट के फैसले में उल्लेख है कि अभिनव सिंघल द्वारा एफआइआर दर्ज करने के बाद उसे जान से मारने की धमकी दी गई। धनंजय सिंह से जान का खतरा बताया। विवेचक ने वादी को उसके आवास पर छोड़ा और सुरक्षा की दृष्टि से दो सशस्त्र गार्ड उसके आवास पर लगाए गए। विवेचना के दौरान वादी अभिनव ने अपने घर मुजफ्फरनगर जाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए थानाध्यक्ष को प्रार्थना पत्र दिया। उसके बाद सुरक्षा व्यवस्था में वादी को घर भेजा गया।
3 मिनट 28 सेकंड की मोबाइल पर वार्ता की आडियो क्लिप भी रही अहम
घटना के बाद वादी अभिनव सिंघल ने प्रभारी निरीक्षक लाइन बाजार को अपने मोबाइल से एमडी मोहनलाल सिंघल के मोबाइल पर घटना के दिन व घटना के बाद हुई करीब 3 मिनट 28 सेकंड की आडियो क्लिप भी सुनवाई। इसमें वादी ने अपने एमडी को अपने साथ धनंजय सिंह के इशारे पर धनंजय सिंह के लोगों द्वारा काले रंग की फार्च्यूनर में उन्हें गन प्वाइंट पर साइट से अपहरण कर धनंजय सिंह के घर पर ले जाने व वहां धनंजय सिंह द्वारा वादी मुकदमा को काले रंग की पिस्टल दिखाते हुए गाली देने व अपना गिट्टी व रेत की आपूर्ति लेने हेतु धमकाने तथा वादी से धनंजय द्वारा जबरदस्ती एमडी मोहनलाल सिंघल का मोबाइल नंबर लेकर अपने मोबाइल से काल करके गिट्टी व रेत की आपूर्ति जबरदस्ती लेने को गाली गलौज व जान से मारने की धमकी देने की बात व इसके बाद मोहनलाल द्वारा अभिनव सिंघल को बताया गया कि एसपी से बात हो गई है। इन बातों का वर्णन है। यह आडियो क्लिप भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हुई।
परेशान थे धनंजय, लेकिन बेबाकी से रखा तर्क
दंड के प्रश्न पर सुनवाई के समय कोर्ट में पहुंचे पूर्व सांसद धनंजय परेशान दिख रहे थे। उनको आशंका थी कहीं और अधिक कारावास की सजा न हो जाए, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बेबाकी से अपने तर्क को रखा। सजा सुनाए जाने के बाद वह पुलिस कर्मियों के साथ चुपचाप कोर्ट से निकल गए।
छावनी में तब्दील रहा दीवानी न्यायालय
धनंजय व उनके सहयोगी संतोष विक्रम की दंड के प्रश्न पर सुनवाई के समय पैरामिलिट्री फोर्स, सभी थानों की फोर्स, सभी क्षेत्राधिकारी, 500 से अधिक पुलिस बल आंबेडकर तिराहा से लेकर दीवानी न्यायालय के न्यायालय कक्ष तक तैनात था। आंबेडकर तिराहे पर अग्निशमन वाहन भी सुबह से खड़ा रहा। हजारों की संख्या में धनंजय के समर्थक मौजूद थे।
3.45 बजे के लगभग 300 से 400 के करीब पुलिसकर्मी और आ गए। न्यायालय कक्ष अधिवक्ताओं से खचाखच भरा हुआ था। इस दौरान कई जिलों के अलावा बिहार व अन्य प्रांतों के समर्थक भी न्यायालय परिसर में धनंजय के समर्थन में आए थे। सभी चर्चा कर रहे थे कि आज तक दीवानी न्यायालय में इतनी भीड़ कभी नहीं हुई। सभी फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। कोई अनहोनी न घटने पाए इसलिए पूरा परिसर छावनी में तब्दील रहा।
हर व्यक्ति की गेट नंबर एक पर प्रवेश के समय पुलिस द्वारा चेकिंग की गई। सुबह ही एसपी सिटी व अन्य पुलिस कर्मी परिसर की सदन चेकिंग किए थे।
घटना की तिथि 10 मई 2020 शाम 5.30 बजे
एफआइआर 10 मई 2020 रात 10.30 बजे
कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि 5 अगस्त 2020
विभिन्न धाराओं में कोर्ट में आरोप तय होने की तिथि 2 अप्रैल 2022
साक्ष्य प्रारंभ होने की तिथि 15 अप्रैल 2022
दोषसिद्ध किए जाने की तिथि 5 मार्च 2024
सजा सुनाए जाने की तिथि 6 मार्च 2024