काशी पहुंचे सुब्रमण्यम स्वामी, बोले- देश के मंदिरों की देखभाल का अधिकार सरकार को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए

- विद्वत सभा के बीच विचार व्यक्त करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पूरे देश के मंदिरों की देखभाल और संचालन का अधिकार हिंदुओं का है। मंदिरों की व्यवस्था जहां-जहां सरकार संचालित कर रही है वहां यह काम हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए। इसके लिए देश के विभिन्न न्यायालयों में न्यायिक प्रक्रिया भी चल रही है।
वाराणसी : प्रखर विचारक, राज्यसभा सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. सुब्रमण्यम स्वामी सपत्नीक मंगलवार को श्रीकांची कामकोटि पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीशंकर विजयेंद्र सरस्वती के चातुर्मास्य स्थल चेतसिंह किला पहुंचे। शंकराचार्य से आशीर्वाद लिया और चल रहे विश्व शांति यज्ञ में भाग लिया।
विद्वत सभा के बीच विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश के मंदिरों की देखभाल और संचालन का अधिकार हिंदुओं का है। मंदिरों की व्यवस्था जहां-जहां सरकार संचालित कर रही है, वहां यह काम हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए। इसके लिए देश के विभिन्न न्यायालयों में न्यायिक प्रक्रिया भी चल रही है।
उन्होंने कहा, मेरे परिवार की आस्था श्रीकांची कामकोटि पीठ की शंकराचार्य परंपरा में पीढ़ी दर पीढ़ी चली रही है। मैं अपने पैतृक स्थान मदुरै के निकट गांव के घर को श्रीकांची कामकोटि पीठ को परंपराओं के संरक्षण के लिए समर्पित कर रहा हूं। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर में लिखित ‘कश्मीर स्तवकम’ की प्रति भी उन्हें भेंट की गई।
काशी में शिव की आराधना अत्यंत पुण्यदायी
शंकराचार्यविश्व शांति महायज्ञ के प्रथम चरण की पूर्णाहुति के अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीशंकर विजयेंद्र सरस्वती ने कहा कि अनेक जगह अनेक कार्य किए जा सकते हैं लेकिन पवित्र काशी की पुण्यभूमि में किया हुआ छोटा सा देव कार्य भी अनंत पूर्णता प्रदान करता है।
काशी में शिव की आराधना अत्यंत पुण्यदायी है। यह अतिरुद्र महायज्ञ सभी अनुष्ठानों में सबसे बड़ा है, एकादश रुद्रों की पूजा में 121 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा जपे गए मंत्र राष्ट्र, विश्व, मानव कल्याण के लिए अनंत फल को प्रदान करने वाले हैं।