अदालतों की सुरक्षा के लिए दो माह में गठित होगी स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स

अदालतों की सुरक्षा के लिए दो माह में गठित होगी स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स

प्रदेश में अदालतों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (यूपीएसएसएफ) का गठन होगा। इसके लिए कवायद तेज हो गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश सरकार की ओर से इस पर कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में सुरक्षा मुख्यालय ने अपना प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय के माध्यम से शासन को भेज दिया है। इस फोर्स का गठन 28 फरवरी तक होना है।

गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि न्यायालय ने पिछले दिनों बिजनौर में सीजेएम न्यायालय में एक आरोपी की हत्या की घटना के बाद प्रदेश में अदालतों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी। अदालत ने प्रदेश के डीजीपी और अपर मुख्य सचिव को तलब कर सुरक्षा के संबंध में पूरी रिपोर्ट मांगी थी।

20 दिसंबर को सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि अदालतों की सुरक्षा के लिए अलग से फोर्स का गठन किया जाए। सरकार 2 जनवरी तक इसका खाका तैयार करे और 28 फरवरी तक फोर्स के गठन करने का पूरा प्लान बताए। शासन ने 21 दिसंबर को इस संबंध में पुलिस मुख्यालय से एक प्रस्ताव मांगा।

एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड ने बताया कि विशेष सुरक्षा बल के लिए पूर्व में एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। नई जरूरतों को देखते हुए इसमें कुछ संशोधन किया गया है और शासन को दोबारा भेज दिया गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि अदालतों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स एक्ट बनाया जाएगा। इसका प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। फिर इसे विधान मंडल के दोनों सदनों से पास कराकर अमली जामा पहनाया जाएगा।

प्रमुख स्थलों को भी इसी एक्ट के दायरे में लाने पर विचार
वहीं सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग और पुलिस महकमा इस पर भी विचार कर रहा है कि प्रदेश के प्रमुख स्थलों की सुरक्षा जैसे मेट्रो स्टेशन, सचिवालय, प्रमुख धार्मिक स्थल और राज्य सरकार के अधीन आने वाले हवाई अड्डों को भी इसी एक्ट के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी तक नहीं हो सका है।

क्या था पूर्व का प्रस्ताव
प्रदेश में प्रमुख स्थलों की सुरक्षा और औद्यौगिक स्थलों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआईएसएफ) के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इसमें मेट्रो स्टेशन, सचिवालय के सभी भवन, प्रमुख धार्मिक स्थल और राज्य के अधीन आने वाले हवाई अड्डे शामिल थे। हालांकि इस पर अब तक निर्णय नहीं हो सका था। 17 दिसंबर को बिजनौर के सीजेएम न्यायालय में एक अभियुक्त की गोलीमार कर हत्या के बाद उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया। जिसके बाद यह कवायद दोबारा शुरू की गई।


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