जैसे बढ़ती उम्र में महिलाओं को मोटापे, अर्थराइटिस और ब्लड प्रेशर की समस्या ज्यादा परेशान करती है वैसे ही पुरुषों में भी कुछ खास तरह की स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती हैं। तो आज हम एक्सपर्ट से इन्हीं के बारे में विस्तार से जानेंगे साथ ही इनके बचाव एवं उपचार के बारे में भी।
1. श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याएं
इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी स्त्रियों की तुलना में पुरुष ज्य़ादा देर तक घर से बाहर रहते हैं और स्मोकिंग की आदत भी उन्हीं में ज्य़ादा देखने को मिलती है। प्रदूषण और धूम्रपान की वजह से पुरुषों में एस्थमा, न्यूमोनिया व सीओपीडी जैसी समस्याएं जयादा नज़र आती हैं, जिनका संबंध सांस की नली और फेफड़ों से होता है।
बचाव एवं उपचार
– स्मोकिंग से दूर रहें। घर से बहर निकलते समय मास्क पहनना न भूलें।
– सांस लेने में थोड़ी भी तकलीफ हो तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें। शुरुआती दौर में चेस्ट की और ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ से ही समस्या दूर हो जाती है।
– अनुलोम-विलोम की क्रिया भी फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होती है।
2. लिवर संबंधी दिक्कतें
आमतौर पर लिवर से संबंधित तीन समस्याएं जयादा देखने को मिलती हैं- फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस। फैटी लिवर की समस्या में वसा की बूंदें लिवर में जमा होकर उसकी कार्यप्रणाली में बाधा पहुंचाती हैं। यह डिज़ीज़ घी-तेल, एल्कोहॉल और रेड मीट के अधिक सेवन से हो सकती है। हेपेटाइटिस होने पर लिवर में सूजन आ जाती है। यह बीमारी दूषित खानपान, असुरक्षित यौन संबंध या ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की वजह से होती है। हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या जयादातर लोगों में देखने को मिलती है। अगर समय पर उपचार न किया जाए तो यह गंभीर रूप धारण कर लेती है, जिसे लिवर सिरोसिस कहा जाता है। आजकल इससे बचाव के लिए टीके भी उपलब्ध हैं।
उपचार एवं बचाव
– ताज़े फलों और हरी पत्तेदार सब्जि़यों का भरपूर मात्रा में सेवन करें।
– खानपान में सफाई का विशेष ध्यान रखें। द्य स्ट्रीट फूड, एल्कोहॉल, रेड मीट और जंक फूड से दूर रहें। इनके ज्यादा सेवन से इनमें मौज़ूद अतिरिक्त फैट और कैलरी लिवर के आसपास जमा हो जाती है, जिससे उसकी कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
3. मेल ब्रेस्ट कैंसर
चौंकिए मत! पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। दरअसल उनके शरीर में भी सीमित मात्रा में ब्रेस्ट सेल्स मौज़ूद होती हैं। अगर किसी वजह से उन कोशिकाओं का विभाजन गलत ढंग से होने लगे तो बाद में उन्हीं सेल्स का समूह कैंसर की गांठ में बदल जाता है। जागरूकता के अभाव में पुरुष इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते, जिससे यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। आनुवंशिकता इसकी प्रमुख वजह है।
बचाव एवं उपचार
– अगर निप्पल एरिया के आसपास दर्द, गांठ, किसी तरह का डिस्चार्ज, त्वचा की रंगत में बदलाव जैसे लक्षण नज़र आएं तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
– रंग-बिरंगी सब्जि़यों और फलों में कैंसर रोधी तत्व पाए जाते हैं। इसलिए अपनी डाइट में इन्हें प्रमुखता से शामिल करें।
– रेडिएशन, लेज़र और कीमोथेरेपी द्वारा इसका उपचार किया जाता है। गंभीर स्थिति में सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
– पान-मसाला और सिगरेट से भी दूर रहने की कोशिश करें क्योंकि ऐसी चीज़ें माउथ और थ्रोट कैंसर के लिए जि़म्मेदार होती हैं।
(डॉ. सुशीला कटारिया, एचओडी इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट, मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)