….तो हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता ऐसे तत्वों को सिखाएंगे कड़ा सबक: सूर्यकांत

- सहारनपुर में हिंदू जागरण मंच की बैठक को सम्बोधित करते प्रदेश सहसंयोजक सूर्यकांत सिंह।
सहारनपुर। हिंदू जागरण मंच के प्रांत सहसंयोजक ठा. सूर्यकांत सिंह ने कहा कि आज देश में अगड़े-पिछड़े व ब्राह्मण, शूद्र की आड़ लेकर हिंदुओं में विभाजन की नीयत से विदेशी चर्चवादी व इस्लामपरस्त हिंदू विरोधी शक्तियों के प्रभाव में हिंदू धर्म ग्रंथों के अपमान का एक कुत्सिज प्रयास समाजवादी पार्टी सहित कुछ राजनीतिक दल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग को अविलम्ब समाजवादी पार्टी की मान्यता रद्द करनी चाहिए।
ठा. सूर्यकांत सिंह आज यहां जिला कार्यालय पर आयोजित बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है कि हिंदुत्व समरसता व अंत्योदय के दर्शन का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि समरसता व अंत्योदय के इसी मूल विचार को लेकर हिंदू जागरण मंच ने संत सिरोमणि गुरू रविदास महाराज के प्रकटोत्सव पर फरवरी माह में विशेष कार्य योजना के तहत अनेक कार्यक्रम तय किए हैं जिसमें छह फरवरी को ताजपुर में शोभायात्रा व 7 फरवरी को गुरू रविदास जन्मस्थान चैरिटेबल ट्रस्ट बनारस के अध्यक्ष व डेरा सचखंड जालंधर के गद्दीन नसीन रविदासी संत निरंजन दास महाराज के विशेष ट्रेन द्वारा अपने शिष्यों के साथ सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर स्वागत व लंगर की व्यवस्था में सहयोग का निश्चय किया है।
उन्होंने कहा कि जनपद में निकलने वाली भगवान राम, कृष्ण व गंगा माता को अपना ईष्ट देव मानने वाले संत शिरोमणि रविदास महाराज की शोभायात्रा में बढ़-चढ़कर सहयोग का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज को चर्चवादी, इस्लामपरस्त व देश विरोधी विधर्मी शक्तियों को कड़ा जवाब देने की आवश्यकता है। इसके लिए सबसे जरूरी हिंदू समाज की समरसता व एकता को बनाए रखना है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सहारनपुर या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कहीं भी हमारे पवित्र धर्म ग्रंथ रामचरित मानस के प्रति अनादर प्रकट किया गया तो हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता ऐसे तत्वों को कड़ा सबक सिखाएंगे।
महंत मदनदास महाराज ने कहा कि भारत सरकार को गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस, भगवान वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण, गीता, शामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं संत रविदास कृत गुरूवाणी आदि ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करते हुए सरकार इनके संरक्षण व संवद्र्धन के लिए कार्य करें। इस दौरान राजकुमार शर्मा, ठा. सुरेंद्र पुंडीर, रणवीर सिंह सैनी, भानू पुंडीर, महंत सुंदरदास, अजय पाल सिंह, रूपेंद्र सिंह, राकेश कुमार, मांगेराम, जलसिंह सैनी, हुकम सिंह, सोनू, अभिषेक, हर्ष, राजू, प्रशांत, भूरे सिंह, शुभम आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।