तो कांग्रेस व अन्य दलों की राजनीति हो जाएगी समाप्त: सहरावत

सहारनपुर [24CN] । भारतीय किसान मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रामकुमार सहरावत ने कहा कि मोदी सरकार में किसान के ट्यूबवैल से लेकर डोकलाम तक सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद है। रामकुमार सहरावत आज यहां सर्किट हाऊस में पत्रकारों के साथ वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार पूरी गम्भीरता से किसानों के कल्याण एवं उनकी भलाई के लिए कटिबद्ध है। विगत छह वर्षों में किसानों की भलाई के लिए जितने काम मोदी सरकार ने किए उतने किसी अन्य सरकारों ने नहीं किए। साथ ही हमारी सरकार देश के हर नागरिक के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को सरकार ने स्वीकार किया है और देश देख रहा है कि हमारी नीयत पहले भी साफ थी और आने वाले दिनों में भी हम इसी दृष्टिकोण से किसानों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आंदोलनरत किसान संगठन भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करेंगे। सरकार पहले दिन से यह कह रही है कि वार्ता से ही इस मुद्दे का समाधान हो सकता है। सरकार चाहती है कि किसान संगठन बिंदूवार चर्चा कर जहां भी उचित संशोधन की जरूरत हो उसे प्रस्तावित करे और सरकार उस पर अमल करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के साथ बैठक में कई बार आग्रह किया था कि कोविड के कारण महिलाओं व बच्चों को इस आंदोलन से घर भेज दिया जाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी किसान संगठनों से ऐसी ही अपील की है। रामकुमार सहरावत ने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों से अपील करते हुए कहा था कि आप हाइवे को छोड़कर अन्य वैकल्पिक स्थानों पर अपना आंदोलन जारी रखें और किसान संगठनों को प्रदर्शन के लिए सरकार ने वैकल्पिक जगह भी मुहैया कराई थी। गृहमंत्री ने स्वयं किसान संगठनों से बात की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी आंदोलनरत संगठनों से यही कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों से नौ दौर की वार्ता की। हर वार्ता में सरकार ने यह संदेश दिया कि हर बिंदू पर सरकार चर्चा करने को तैयार है। कई मुद्दों पर सरकार ने किसान संगठनों की बात मानी भी, लेकिन किसान संगठन कानून रद्द करने की मांग पर अड़े रहे।

उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के साथ सरकार की वार्ता लगाकार सकारात्मक रही। किसान संगठनों ने स्वयं सरकार के कदमों पर प्रशंसा व्यक्त की लेकिन विपक्ष व कुछ संगठनों ने अपने एजेंडे के तहत किसान संगठनों को गुमराह किया जिससे एक दो बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबको धरना-प्रदर्शन करने व असहमति देने का अधिकार है, लेकिन हिंसा, पथराव व अराजकता की स्थिति नहीं होनी चाहिए। सरकार ने कई बार आशंका जताई तथा किसान संगठनों को भी आगाह किया कि इसमें असामाजिक तत्व शामिल हो गए हैं। ऐसी कई घटनाएं भी घटित हुई तथा कानून व्यवस्था को लेकर जो चिंता केंद्र सरकार ने जाहिर की थी, वहीं चिंता सुप्रीम कोर्ट ने भी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है वह किसानो की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है परंतु विपक्ष एक एजेंडा चलाकर किसानों को लगातार गुमराह करने का काम कर रहा है क्योंकि विपक्षी दलों को मालूम है कि इन कानूनों के बाद किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी जिससे कांग्रेस व अन्य दलों की राजनीति खत्म हो जाएगी। वार्ता के दौरान किसान मोर्चा के क्षेत्रीय महामंत्री अनिल पुंडीर, ब्लाक प्रमुख बिजेंद्र चौधरी, किसान मोर्चा के महानगर अध्यक्ष सुधीर पंवार, गौरव गर्ग, मंडल अध्यक्ष ठाठसिंह मौजूद रहे।