छापेमारी से पहले सिसोदिया ने नष्ट किए मोबाइल? CBI ने इन छह बिंदुओं के आधार पर की कार्रवाई
नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को रविवार को करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। डिप्टी सीएम सिसोदिया की गिरफ्तारी दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले में हुई है। सीबीआई सोमवार को विशेष अदालत में पेश करके मनीष सिसोदिया की रिमांड की मांग करेगी। खास बात है कि आबकारी नीति घोटाले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया मुख्य आरोपी हैं।
मनीष सिसोदिया पर कार्रवाई का यह है आधार
- डिजिटल साक्ष्यों और गवाहों के बयान पर नहीं दे सके संतोषजनक जवाब
- जांच एजेंसी के अधिकांश सवालों के जवाब को टालने की कोशिश की
- दक्षिण लावी ने 100 करोड़ रुपये का एडवांस क्यों दिया, नहीं दिया जवाब
- आने के पहले ही नई आबकारी नीति शराब कंपनियों के पास पहुंच गई
- छापेमारी से पूर्व अन्य आरोपियों के साथ सिसोदिया ने भी मोबाइल नष्ट किए
- पूछताछ में सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा के बयान का नहीं कर सके खंडन
यह है मामला
बता दें कि सिसोदिया को आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 477ए (खातों में फर्जीवाड़ा) के साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात (भ्रष्ट या गैरकानूनी माध्यमों या निजी प्रभाव का इस्तेमाल कर अनुचित लाभ लेना) समेत विभिन्न धाराओं में गिरफ्तारी की गई है।
सीबीआई और ईडी ने दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर आरोप लगाया कि नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। लाइसेंस शुल्क माफ या कम कर दिया गया था या सक्षम अधिकारी प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था।
इसके अलावा आरोप है कि लाभार्थियों ने आरोपितों को अवैध लाभ दिया और खातों में गलत प्रविष्टियां की। एजेंसी की तरफ से यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना जमाराशि वापस करने का निर्णय लिया था।
कोरोना महामारी के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उपराज्यपाल की सिफारिश सीबीआई ने केस दर्ज किया।