अध्याना में भाजपा का तिलिस्म टूटने के संकेत, हाथी की मस्त चाल के साथ साइकिल की भी बढ़ी रफ्तार

अध्याना में भाजपा का तिलिस्म टूटने के संकेत, हाथी की मस्त चाल के साथ साइकिल की भी बढ़ी रफ्तार

नकुड़ [दिग्विजय]: उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को पूर्ण हो गया। एक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़कर सहारनपुर जनपद में मतदान शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ। हालांकि बेहट व देवबंद विधानसभाओ में भाजपा व सपा समर्थकों में बहस के साथ मारपीटाई भी हुई जिसका सुरक्षा बलों ने सख्ती के साथ निपटारा किया।

नकुड़ विधानसभा के अध्याना गाँव में सपा व भाजपा का कुछ अधिक ही फोकस रहा। भाजपा व सपा ने चुनाव से पहले खूब जोर आजमाईस की। इस गाँव को मुख्यत: भाजपा का अभेद किला के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव, या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव हो हर बार भाजपा ने इस गाँव में जबरदस्त बढ़त बनाए रखी। सभी चुनाव में भाजपा को यंहा औसतन 1350 मत मिले। गावं से मत प्राप्त करने में बसपा दूसरे नंबर पर रही जिसे औसतन 450 मत मिले। समाजवादी पार्टी गाँव में कभी भी बेहतर नहीं कर पायी व हमेशा गिने चुने मतों से संतोष करना पडा। मगर मतदान के दिन इस बार हवा बदली-बदली सी नजर आई।

हालांकि इस बार भी भाजपा गाँव से सबसे अधिक मत प्राप्त करने में सफल रहेगी लेकिन इस बार भाजपा के मतों में बिखराव देखने को मिला। हमेशा की तरह हाथी ने अपनी मदमस्त चाल बनाई रखी लेकिन दिलचस्प बात यह है कि गाँव में सपा की साईकिल भी सरपट दौड़ लगाते दिखी। भाजपा के मतों में सपा की साइकिल ने अच्छी खासी सेंध लगाई। गाँव में मतदान प्रतिशत का कम रहना भी भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इस बार लगभग 71 प्रतिशत मतदान हुआ जो अनुमान से कम है। माना जा रहा था कि गाँव से लगभग 85 प्रतिशत मतदान अवश्य होगा।

मतदान प्रतिशत में गिरावट भाजपा रणनीतिककारों की खराब रणनीति का परिणाम रही। जिन जिम्मेदारों को गाँव से मतदाताओ को घरों से निकालकर लाना चाहिए था वो बूथ एजेंट बन गए। कुछ युवाओं ने दोपहर बाद व्यक्तिगत स्तर से जरूर मतदाताओ को निकालने का प्रयास किया लेकिन संगठन स्तर से जो प्रयास होने चाहिए थे वो कमतर रहे। हालाँकि नकुड़ विधानसभा में रिकार्ड 75 प्रतिशत मतदान हुआ लेकिन अध्याना में मतदान प्रतिशत विगत चुनाव की अपेक्षा कम रहा। रणनीतिककारों का मतदान को बाधित करना भी पक्ष में नहीं रहा। मतदान बाधित होने से जो मतदाता बैरंग लौटे वो वापस मतदान करने नहीं आए। कमाल की बात यह रही कि ये पता होते हुए कि ये भाजपा के मतदाता है उन्हे दुबारा बुलाकर मतदान कराने का प्रयास संगठन स्तर से नहीं हुआ। इससे जो भी नुकसान हुआ वो भाजपा को हुआ। अनुमानतय् पिछले चुनावों की अपेक्षा भाजपा को लगभग 20 प्रतिशत मतों का नुकसान यंहा से उठाना पड़ सकता है। जब हार जीत का अंतर बहुत कम रहने वाला हो उन परिस्थितियों में यह प्रतिशत बहुत मायने रखता है।

वहीं गाँव में सपा के रणनीतिककारों ने बढ़िया रणनीति अपनायी। सपा के रणनीतिककारों ने अपने अन्य कार्यकर्ताओ को बूथ की जिम्मेदारी देकर खुद मतदाताओं को बुलाने, रिझाने व मैनीपुलेट करने का काम किया।

मतदान कराते युवा
88 वर्षीय सियावती मतदान कर घर वापस जाते हुए।

गाँव में बसपा का हाथी अपने पिछले रिकार्ड को बनाने में सफल रहेगा बल्कि उसमें बढ़ोत्तरी होगी इसमें कोई दोराय नहीं है तो वहीं साईकिल के मतों में आश्चर्यजनक रूप से बढ़त मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।

यदि नकुड़ विधानसभा की बात की जाए तो मामला त्रिकोणिय होता दिखाई दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों का मतदान से पूर्व बसपा को कमतर आंकना सही नहीं रहा। विधानसभा में भाजपा बसपा व सपा में त्रिकोणिय मुकबला है। हार जीत का अंतर भी बहुत कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।