लखनऊ : भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सोमवार को उत्तर प्रदेश में उल्लास के माहौल में मनाया गया। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की आधी रात ढोल और मृदंग संगीत नृत्य करने लगे। ऐसा लगा मानो वेद खुद मंत्रोच्चारण करने लगे। शंखनाद हुआ तो कलियां, गोवंश, ब्रज की लता पता और लाखों होठों से बस एक ही आवाज बुलंद हुई, जय कन्हैया लाल की, जय कन्हैया लाल की…। मथुरा ब्रजभूमि में तो जैसे रात ही नहीं हुई, पालनहार जन्म के इंतजार में श्रद्धा की पलकों ने झपकना छोड़ दिया। आखिर जन-जन के आराध्य छलिया के जन्म का उत्सव जो था। सोमवार रात 12 बजे शंख-घंटे की ध्वनि और वैदिक मंत्रों के बीच जन्मस्थान पर कान्हा का अभिषेक हुआ, तो जैसे पूरा बैकुंठ इस अद्भुत पल का साक्षी बनने को धरा पर उतर आया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश शासन ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाने के लिए सोमवार नाइट कर्फ्यू के प्रतिबंधों की बेड़ियां तोड़ दी। हर ओर वातावरण कृष्णमय रहा। इस बार के जन्मोत्सव पर अद्भुत संयोग बना। द्वापर में जब कंस की कारा में कन्हाई ने जन्म लिया, तो जयंती और सर्वार्थ सिद्धि योग था। इस बार भी यही योग बना। कान्हा के जन्म से ब्रज का कण-कण धन्य हो गया। इस अलौकिक दृश्य को लाखों जोड़ी आंखों ने निहारा। मथुरा में गंगा-यमुना के जल से लाला का अभिषेक हुआ।
सोमवार को लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव था। लाला के आगमन की खुशियां ब्रज के हर घर में सुबह से पसरी थीं। हो भी क्यों न, आखिर आज उनके कान्हा के जन्म का उत्सव जो था। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर सुबह छह बजे मंगला आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित की गई। भागवत भवन में युगल सरकार जब रेशम, जरी, लता-पताओं से सजी हरिचंद्रिका पोशाक पहन इठलाए, तो श्रद्धालु छवि निहार धन्य हो गए। जैसे-जैसे रात गहराती रही, उल्लास चरम की ओर बढ़ता गया। पूरे परिसर में सुगंधित द्रव्य का छिड़काव हुआ। रात 11 बजे भगवान श्री गणेश, नवगृह पूजन और सहस्त्रवाचन के साथ ही लाला के जन्म की तैयारियां तेज हो गईं।
श्रीराम जन्मभूमि निर्माण न्यास और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की अस्वस्थता के कारण अनुपस्थिति में पूजन की जिम्मेदारी पूजाचार्यों के साथ श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने संभाली। घड़ी ने रात के 12 बजे की ओर इशारा किया, तो कन्हाई के चलित विग्रह को मोरछल आसन पर भागवत भवन लाया गया। रजत कमल पुष्प पर विराजे ठाकुर जी का स्वर्ण मंडित रजत से निर्मित गाय ने दुग्धाभिषेक किया। लाखों की भीड़ इस अद्भुत पल की साक्षी बनी, तो खुशियों की थाह नहीं रही। इधर, कान्हा ने जन्म लिया और उधर, पूरे ब्रज ने घरों से शंखनाद और घंटा बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया। रात डेढ़ बजे तक लाला के दर्शन को पट खुले, तो भक्तों की भीड़ दर्शन को भागती सी रही।
मथुरा में जेल के कैदी भी जन्माष्टमी मनाते हैं। वे गाते हैं, नृत्य करते हैं और संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं। यूपी के डीजी जेल आनन्द कुमार ने मथुरा जेल में श्री कृष्ण जन्मोत्सव को वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि भगवान कृष्ण जी की नगरी मथुरा की जिला जेल में निरुद्ध दो रूसी नागरिक जन्माष्टमी पर्व पर कृष्ण भक्ति में सराबोर झूमते हुए। मथुरा में रहते हुए अच्छी खासी हिंदी भी सीख चुके हैं।
भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन हो रहे हैं जबकि अन्य जिलों में भी इसको लेकर लोगों में अपार उत्साह है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ भी पहली बार मथुरा जाकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन में शामिल हुए। योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर पहली बार बतौर मुख्यमंत्री जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मोत्सव कार्यक्रम में भाग लिया। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर उन्होंने कहा कि मैं वृंदावन बिहारी लाल से प्रार्थना करने आया हूं कि जैसे आपने अनेक राक्षसों का अंत किया था, वैसे ही कोरोना रूपी राक्षस का भी अंत करने की कृपा करें।
मेरठ और आसपास के जिलों में जन्माष्टमी का पर्व पूरी आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। बाजारों में भी रौनक देखी गई। देररात तक कार्यक्रम चलेंगे। सहारनपुर के रामपुर मनिहारान कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई श्रद्धालुओं ने कान्हा जी की झांकी सजाने के लिए खूब खरीदारी की। लड्डू गोपाल की पीतल की मूर्ति की बिक्री काफी हुई, घरों में भक्तों ने जन्माष्टमी की जमकर तैयारी की।
उत्तर प्रदेश में सभी जिलों में जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में निर्धारित उपस्थिति की सीमा से छूट है। शासन ने सभी पुलिस लाइन और कारागारों में जन्माष्टमी का पर्व कोविड प्रोटोकॉल के साथ भव्य रूप से मनाने का आदेश दिया है। प्रदेश की सभी पुलिस लाइंस एवं जेलों में जन्माष्टमी का पर्व भव्य रूप से भारतीय परंपरा के अनुसार मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी के अवसर पर कानपुर के जेके मंदिर में लाइट एंड म्यूजिक शो देखा गया।
प्रदेश में मथुरा के गोकुल व बरसाना में बड़े आयोजन होंगे। इसके साथ ही वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, आगरा तथा राजधानी लखनऊ के साथ महानगरों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिरों में श्रीकृष्ण का जन्म, उनकी लीलाओं की झांकी सजाई जाती है और कई जगह मेले का आयोजन भी होता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर प्रदेश के सभी इस्कॉन मंदिरों में भी इस बार बड़े आयोजन होंगे। बीते वर्ष कोरोना के कारण कहीं पर भी भव्य आयोजन नहीं हो पाया था। इस बार श्रद्धालुओं को भी मंदिर के अंदर आने की अनुमति है।
इस बार विशेष योग : सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष योगकारी होगा। इस दिन शुभ हर्षण योग होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त होगी। हर्ष का अर्थ खुशी या प्रसन्नता है, इसलिए इस योग में किए कार्य खुशी प्रदान करेंगे।
यह हैं पूजा के शुभ मुहूर्त
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त रात 11 बजकर 25 मिनट से।
- अष्टमी तिथि समाप्ति: 30 अगस्त की रात (अर्थात 31 अगस्त) दो बजे तक।
- रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्त सुबह छह बजकर 39 मिनट से।
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 31 अगस्त सुबह नौ बजकर 44 मिनट तक।
- जन्माष्टमी निशीथ पूजा मुहूर्त: 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट (अवधि 44 मिनट) तक रहेगा।
- जन्माष्टमी पारण मुहूर्त: 31 अगस्त सुबह पांच बजकर 58 मिनट के बाद।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 30 अगस्त सुबह छह बजकर 22 मिनट से रात 12 बजकर 16 मिनट तक। यह जन्मोत्सव को विशेष योगकारक बना रहा है।
पूजन विधि : जन्माष्टमी पर जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उत्तर की ओर मुख करके व्रत संकल्प लें। भगवान श्रीकृष्ण की मूॢत या चित्र पालने में स्थापित करें। इस दौरान देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंदबाबा, यशोदा आदि के नाम जपें। रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक करें। नए वस्त्र अॢपत कर लड्डू-गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं। आरती करके प्रसाद वितरित करें। श्रीकृष्ण के साथ गोमाता की भी मूर्ति रखकर उनका भी पूजन करें। मान्यता है कि लड्डू गोपाल का अभिषेक गंगाजल से नहीं किया जाता क्योंकि गंगाजी का प्राकट्य स्वयं श्रीहरि के चरणों से हुआ है, इसलिए भक्तजन अभिषेक के बाद चरणामृत में गंगाजल मिलाते हैं। आर्थिक व संतान संबंधी परेशानियों से जूझ रहे श्रद्धालु जन्माष्टमी पर गाय और बछड़े की मूॢत घर लाएं। भगवान को परिजात के फूल भी अर्पित करें।