चीन को झटका, साई इंग-वेन फिर चुनी गईं ताइवान की राष्ट्रपति
ताइवान के लोगों ने शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में फिर से साई इंग वेन को चुन चीन को बड़ा झटका दिया। 57 फीसदी यानी 80 लाख से अधिक मत हासिल करने के बाद अपनी जीत की घोषणा करते हुए साई ने चीन को चेतावनी भी दी।
साई ने कहा, ‘मतदाताओं ने फिर से मुझे चुन साफ किया है कि बीजिंग ताइवान के लिए खतरा बनना बंद कर दे। शांति का अर्थ यह है कि चीन ताइवान पर बल प्रयोग की धमकियां देना छोड़ दे। मुझे उम्मीद है कि चीनी अधिकारी समझते हैं कि लोकतांत्रिक ताइवान और हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार खतरों व धमकियों को स्वीकार नहीं करेगी।’
रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार शाम तक जारी वोटों की गिनती में उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खान ग्वो यी 38 फीसदी मत ही हासिल कर सकीं। कुओमिनटांग पार्टी की खान ग्वो ने अपने प्रचार में चीन के साथ तनाव कम करने का वादा किया था। जबकि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की साई ने साफ किया था कि वह चीन से करीबी रिश्ते नहीं चाहतीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, साई की जीत ने साबित किया कि उनके चुनाव अभियान ने लोगों को चीन के इरादों से तेजी से सावधान किया। वहीं इससे चीन के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्रों की स्वतंत्रता के लिए आवाज बुलंद होगी और हांगकांग में भी प्रदर्शन गति पकड़ेंगे।
ताइवान-चीन का विवाद
वहीं जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ है। दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है। ताइवान 1950 से ही स्वतंत्र रहा है लेकिन चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है।
एक ओर जहां ताइवान खुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े। बता दें कि चीन किसी भी उस देश के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखता जो ताइवान को एक स्वतंत्र देश की मान्यता देता है।