शोभित विश्वविद्यालय गंगोह डिजी100 शिखर सम्मेलन में प्रौद्योगिकी अपनाने वाले शीर्ष 100 की श्रेणी में शामिल

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह डिजी100 शिखर सम्मेलन में प्रौद्योगिकी अपनाने वाले शीर्ष 100 की श्रेणी में शामिल

गंगोह [24CN] : दिनाँक 14-12-2024 दिन शनिवार को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से Digii100_2024 शिखर सम्मेलन में शोभित विश्वविद्यालय गंगोह को डिजिटल परिवर्तन में अग्रणी भारत के शीर्ष 100 उच्च शिक्षा संस्थानों की लिस्ट में शामिल होने पर सम्मानित किया गया है। इस Digii100_2024 शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा में बदलाव लाने वाले संस्थानों को प्रौद्योगिकी को अपनाने और शैक्षिक मानकों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना रहा है, जिसमें पावर-पैक पैनल चर्चाएँ, इमर्सिव वर्कशॉप और फ़ायरसाइड चर्चाएँ शामिल रही। इस वर्ष इस सम्मलेन की थीम “भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल उत्कृष्टता को उजागर करना”रही। शोभित विश्वविद्यालय गंगोह की ओर से इस सम्मान को शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलसचिव प्रो.(डॉ.) महिपाल सिंह एवं असिस्टेंट प्रोफेसर मो. अहमद ने प्राप्त किया।

इस Digii100_2024 शिखर सम्मेलन में शोभित विश्वविद्यालय को डिजिटल उत्कृष्टता के लिए शीर्ष 100 संस्थानों की लिस्ट में शामिल होने पर शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी सदस्यों को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की और कहा कि यह एक ऐसा मिशन है जो डिजिटल उत्कृष्टता के माध्यम से उच्च शिक्षा को बदलने के लिए समर्पित है। प्रौद्योगिकी शिक्षा को अधिक सुलभ, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाती है, छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन पाठ्यक्रम, और इंटरेक्टिव टूल्स, नवीनतम तकनीकी संसाधनों के माध्यम से बेहतर सीखने का अनुभव उनके कौशल और व्यवहार में कुशलता विकसित करता है। इसके द्वारा, न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि विभिन्न प्रकार की शिक्षा तक पहुँच को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे छात्रों को अपने सपनों को साकार करने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि पाठ्यक्रमों को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करने, इंटरेक्टिव टूल्स और तकनीकी माध्यमों का उपयोग करके छात्रों को एक नया और बेहतर अनुभव प्रदान किया जा सकेगा। इससे शिक्षा में एक समानता आएगी, क्योंकि इससे दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को भी समान अवसर मिलेंगे।


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