बाल श्रम पर समाज के सभी वर्गों को संदेवनशीलता दिखानी होगी: शीतल टण्डन

- जिला व्यापार मण्डल के शिष्टमंडल द्वारा प्रदेश के अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन सुरेश चन्द्रा के नगर आगमन पर दिया बाल श्रम निषेध पर आलेख
सहारनपुर [24CN]। प्रत्येक वर्ष 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस के मनाये जाने के कार्यक्रमों की श्रृंखला में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मण्डल जनपद सहारनपुर के जिला इकाई के प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा गत दिवस देर सायं स्थानीय आईटीसी गैस्ट हाउस में उ.प्र. शासन के श्रम एवं सेवायोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्रा के सहारनपुर आगमन पर उनसे भेंट की।
जनपद के उद्यमियों व व्यापारियों की ओर से उनको शॉल, अंगवस्त्र, पुस्तक व पुष्पगुच्छ देकर स्वागत व अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष द्वारा सुरेश चंद्रा को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के सम्बन्ध में तीन पृष्ठों का व्यापक आलेख प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष शीतल टण्डन ने कहा कि बाल श्रम पर समाज के सभी वर्गों को अपनी संवेदनशीलता दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि बालश्रम एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है, जो शहरों में गांवों में चारों तरफ मकडज़ाल की तरह बचपन को अपने आगोश में लिए हुए है। खेलने-कूदने के दिनों में कोई बच्चा श्रम करने को मजबूर हो जाए, तो इससे बड़ी विडम्बना किसी भी समाज के लिए क्या हो सकती है? बाल श्रम से परिवारों की आय स्रोतों का एक छोटा सा भाग ही प्राप्त होता है, जिसके लिए गरीब परिवार अपने बच्चों के भविष्य को गर्त में झोंक देते हैं, गोपाल दास नीरज ने बालश्रम की इसी भयावह स्थिति का वर्णन करते हुए लिखा है-जिनको जाना था यहां पढऩे को स्कूल, जूतों पर पॉलिश करें वो भविष्य के फूल।
उन्होंने कहा कि बाल श्रम की कुरीतियों को खत्म करने के लिए सरकार का दायित्व ही नहीं है। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में अनेक बाल श्रम श्रमिक मिल जायेंगे जो कडाके की ठंड या तपती धूप की परवाह किये बगैर काम करते हैं। सभ्य होते समाज में यह अभिशाप अभी तक भी क्यों बरकरार है? क्यों तथाकथित सभ्य एवं सुरक्षित परिवारों में नौकरों के रूप में छोटे बच्चों को पसन्द किया जाता है? आर्थिक रूप से सशक्त लोगों को घर के कामकाज हेतु गरीब एवं गांव के बाल श्रमिक ही पसन्द आते हैं। इन छोटे श्रमिकों की मजदूरी समझिए कि इन छोटे-छोटे कंधो पर बिखरे हुए परिवारों के बड़े बोझ हैं।
श्री टण्डन ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहे हैं और बाल श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। अपर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्रा ने व्यापार मण्डल की निरंतर सक्रियता व व्यापारियों की समस्याओं के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों और अन्य विषयों पर भी जागरूकता अभियान चलाने की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चल रही हैं और संगठनों के सुझावों के अनुसार इनको और बेहतर किया जायेगा। भेंट करने वालों में प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष शीतल टण्डन, जिला महामंत्री रमेश अरोडा, जिला कोषाध्यक्ष राजीव अग्रवाल, संरक्षक गुलशन नागपाल, जिला मंत्री अंकित भाटिया शामिल रहे। इस अवसर पर उपश्रमायुक्त शक्तिसेन मौर्य व विभाग के उच्चाधिकारी भी उपस्थित रहे।