महाराष्ट्र चुनाव और सरकार गठन में देरी पर शरद पवार का तीखा बयान
पुणे: महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के बाद सरकार गठन में हो रही देरी पर एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार ने कड़ा रिएक्शन दिया है। पवार ने आरोप लगाया कि राज्य के चुनाव तंत्र को प्रभावित करने के लिए सत्ता और धन का व्यापक दुरुपयोग किया गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया और कहा कि ऐसा पहले कभी किसी राज्य विधानसभा या राष्ट्रीय चुनाव में नहीं देखा गया।
महायुति पर सवाल
शरद पवार ने सरकार गठन में हो रही देरी को लेकर महायुति पर निशाना साधते हुए कहा, “इतना बड़ा जनादेश मिलने के बावजूद अब तक सरकार नहीं बन पाई है। यह साफ तौर पर जनादेश का अपमान है। यह साबित करता है कि महायुति के लिए जनता का फैसला कोई मायने नहीं रखता।”
लोकतंत्र पर मंडराता खतरा
पवार ने कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने दावा किया कि ईवीएम के दुरुपयोग और सत्ता के अत्याचार पर संसद में चर्चा की अनुमति तक नहीं दी जाती, जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है, जिससे व्यापक विरोध की जरूरत है।
चुनाव में धन और सत्ता का खेल
पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के हालिया चुनावों में धन और सत्ता का दुरुपयोग पहले कभी इस स्तर पर नहीं देखा गया। उन्होंने कहा, “ईवीएम में धांधली के आरोपों पर चर्चा हो रही है, लेकिन इन आरोपों को पुष्ट करने के लिए पर्याप्त सबूत अभी तक नहीं मिले हैं।”
वरिष्ठ कार्यकर्ता के प्रदर्शन को समर्थन
पवार ने यह बयान वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ. बाबा अधव से मुलाकात के दौरान दिया। अधव ने हाल ही में हुए चुनावों में ईवीएम के कथित दुरुपयोग के खिलाफ फुले वाडा में तीन दिवसीय प्रदर्शन शुरू किया है। पवार ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए ऐसे आंदोलनों की आवश्यकता है।
आगे की राह
पवार ने जनता और विपक्ष से एकजुट होकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए खड़े होने की अपील की। उनका कहना है कि यदि अब कदम नहीं उठाए गए, तो संसदीय लोकतंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है।