छह साल बाद चुनाव लड़ेंगे शाहनवाज, सोमवार को मुकेश सहनी के साथ भर सकते हैं नामांकन का पर्चा
पटना। भाजपा ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को बिहार विधान परिषद के उपचुनाव में राजग की ओर से प्रत्याशी बनाया है। दूसरी खाली सीट पर विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के प्रमुख एवं मंत्री मुकेश सहनी को उतारा गया है। नामांकन की आखिरी तारीख 18 जनवरी है। मुख्यधारा की राजनीति में शाहनवाज की छह साल बाद वापसी होने जा रही है। माना जा रहा है कि एमएलसी बनाने के बाद भाजपा उन्हें बिहार में मंत्री भी बना सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही वह सत्ता की राजनीति से अलग-थलग थे। पिछली बार भी उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया गया था।
सोमवार को पर्चा भरेंगे शाहनवाज और सहनी
भाजपा की ओर से बताया गया है कि दोनों नेता सोमवार को पर्चा भरेंगे। दोनों पहली बार बिहार के उच्च सदन के लिए चुने जाएंगे। हालांकि मुकेश सहनी की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि उन्हें भाजपा का प्रस्ताव मंजूर है या नहीं। सूचना है कि उन्हें विनोद नारायण झा के विधायक बनने से खाली हुई सीट के लिए प्रत्याशी बनाया गया है, जिसका कार्यकाल सिर्फ डेढ़ साल (21 जुलाई 2022 तक) बचा हुआ है।
चुने जाने के बाद साढ़े तीन साल का होगा कार्यकाल
शाहनवाज को सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद खाली हुई सीट पर प्रत्याशी बनाया गया है, जिसका कार्यकाल अभी साढ़े तीन साल (6 मई 2024 तक) बाकी है। कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी अपने लिए छह साल का कार्यकाल चाह रहे थे। इसके लिए वह भाजपा पर लगातार दबाव भी बनाए हुए थे। किंतु सूचना है कि भाजपा ने साफ इन्कार कर दिया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय मयूख ने बताया कि राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने शनिवार को शाहनवाज के नाम सिंबल जारी कर दिया।
शाहनवाज के जरिए भाजपा ने दिया संदेश
शाहनवाज की गिनती भाजपा में नई पीढ़ी के समर्पित नेताओं में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया था। भाजपा ने उन्हें पार्टी का प्रत्याशी बनाकर मुस्लिम समुदाय के प्रति बड़ा संदेश दिया है। फिलहाल विधान परिषद के साथ ही विधानसभा में भी भाजपा की तरफ से कोई भी मुसलमान चेहरा नहीं है।
सुपौल के रहने वाले हैं शाहनवाज
अटल सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री रहे शाहनवाज मूल रूप से सुपौल जिले के रहने वाले हैं। 1999 में पहली बार किशनगंज से सांसद चुने गए थे। उसके बाद सुशील मोदी के बिहार में उपमुख्यमंत्री बनने के चलते खाली हुई भागलपुर की सीट से 2006 में सांसद बने थे। 2009 में भी उन्हें भागलपुर से ही दोबारा जीत मिली थी।