दीन-दु:खियों की नि:स्वार्थ करना ही सबसे बड़ा धमर्: कालेंद्रानंद

दीन-दु:खियों की नि:स्वार्थ करना ही सबसे बड़ा धमर्: कालेंद्रानंद
  • सहारनपुर में महाकाली मंदिर में गरीबों को रजाई वितरित करते स्वामी कालेंद्रानंद महाराज।

सहारनपुर। स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने कहा कि दीन-दु:खियों की नि:स्वार्थ सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। स्वामी कालेंद्रानंद महाराज आज यहां महाशक्ति पीठ वैष्णवी महाकाली मंदिर में मकर संक्रांति महोत्सव पर आयोजित रजाई वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति पर्व पर जो भी धर्म दान, पुण्य किया जाता है।

उसका फल अक्षय रूप में प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जो जीव समर्पित व नि:स्वार्थ भाव से दीन-दु:खियों की सेवा करता है परमात्मा स्वयं उसका सहयोग करते हैं और हर समय निरंतर उसे सेवाभाव में अग्रसर करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें केवल मकर संक्रांति पर ही नहीं बल्कि जिस समय भी सेवा के लिए पात्र व्यक्ति मिले उसका लाभ उठाते हुए हर समय सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि दीन-दु:खियों की सेवा करना ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है।

इस दौरान पं. नीरज शर्मा, पं. विशाल शर्मा, अरूण स्वामी, मेहरचंद जैन, रमेश शर्मा, अजब सिंह चौहान, भूपेंद्र पुंडीर, अश्विनी काम्बोज, नरेश चंदेल, राजेंद्र, सुशील गुप्ता, रीता गुप्ता, कुसुम चौहान, वर्षा, बाला, किरण बजाज, सुनीता चौहान, कमलेश, बबीता, सीमा वर्मा आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।