स्वाभिमान किसी शक्ति से बड़ा, महाराणा प्रताप का बलिदान युगों-युगों तक गूंजेगा: ओम बिरला
 
						लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोटा में महाराणा प्रताप की विशाल प्रतिमा का अनावरण करते हुए उन्हें केवल मेवाड़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव बताया, जिनकी देशभक्ति और बलिदान युगों तक प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने जोर दिया कि महाराणा प्रताप का नेतृत्व, जिसमें नीति, न्याय और करुणा समाहित थी, भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय आत्मसम्मान की भावना को सशक्त करता है, जो आज भी प्रासंगिक है।
कोटा के रामगंज मंडी में एक भव्य समारोह में महाराणा प्रताप की विशाल घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर जैसी प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं। अध्यक्ष बिरला ने महाराणा प्रताप की विरासत की प्रशंसा की, हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान उनकी अटूट निष्ठा का उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार उनका नेतृत्व भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और आत्मसम्मान की भावना को प्रेरित करता है। इस अनावरण से भारतीय सांस्कृतिक गौरव पर महाराणा प्रताप के अमिट प्रभाव को रेखांकित किया गया, तथा वंशजों और अधिकारियों ने उनकी वीरता और न्याय एवं समानता के प्रति प्रतिबद्धता को सिखाने के महत्व पर बल दिया
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति इस समारोह में उपस्थित थे। बिरला ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि स्वाभिमान किसी भी शक्ति या वैभव से बढ़कर है। उन्होंने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में एक शक्तिशाली सेना के खिलाफ लड़ते हुए महाराणा प्रताप के हृदय में प्रज्वलित ज्वाला ने ही मुगल सल्तनत के अहंकार को कुचल दिया था।
बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप केवल मेवाड़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं और उनका जीवन एक प्रकाश स्तंभ है, जो हमारी आंतरिक शक्ति को सदैव नयी ऊर्जा प्रदान करता रहेगा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही प्रत्येक भारतीय के हृदय में गौरव और श्रद्धा की भावना जागृत हो जाती है। उन्होंने कहा कि हाड़ौती में महाराणा प्रताप की प्रतिमा उस राजा के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के सम्मान और गौरव के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल शक्ति से नहीं, बल्कि नीति, न्याय और करुणा से किया जाता है। उन्होंने कहा, “जब महाराणा प्रताप ने युद्ध के बाद भी अपनी प्रजा की रक्षा को सर्वोच्च माना, तो उन्होंने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक राजा का कर्तव्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि लोक कल्याण की रक्षा करना भी होता है।”
कोटा से सांसद बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप के शासन में जाति, वर्ग या पंथ का कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के शासन में सभी के लिए समान न्याय और सम्मान का वातावरण था, जो आज के लोकतांत्रिक भारत की आत्मा से गहराई से जुड़ा हुआ है। बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप ने विपरीत परिस्थितियों में भी स्वशासन और स्वाभिमान का जो असाधारण उदाहरण स्थापित किया, वह आज भी हमारे राष्ट्र का मार्गदर्शन करता है।

 
			 
			 
			 
			 
			