राम मंदिर में दूसरा प्राण प्रतिष्ठा समारोह: आज निकलेगी भव्य कलश यात्रा, राम दरबार की स्थापना की तैयारी

राम मंदिर में दूसरा प्राण प्रतिष्ठा समारोह: आज निकलेगी भव्य कलश यात्रा, राम दरबार की स्थापना की तैयारी

अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीराम की बाल रूप में प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब भव्य राम दरबार की स्थापना की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत आज (2 जून) से विशेष अनुष्ठानों की श्रृंखला आरंभ हो रही है, जो 5 जून तक चलेगी। इस दौरान रामलला सहित उनके पूरे परिवार की मूर्तियां मंदिर के पहले तल पर स्थापित की जाएंगी।

आज से अनुष्ठानों की शुरुआत

विशेष पूजा-अनुष्ठानों की शुरुआत आज सरयू आरती स्थल से निकलने वाली कलश यात्रा से होगी। इस यात्रा के साथ ही राम दरबार में विराजमान होने वाली संगमरमर की प्रतिमाओं को विधिपूर्वक मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इसमें भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान के अलावा जटायु, तुलसीदास, वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शबरी और अहिल्या की मूर्तियां भी शामिल होंगी।

मुख्य कार्यक्रम

  • 3-4 जून: सुबह 6:30 बजे से प्रतिदिन 12 घंटे तक वैदिक अनुष्ठान और पूजा संपन्न होगी।

  • 5 जून: अभिजीत मुहूर्त (सुबह 11:00 बजे) में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

  • 6 जून से श्रद्धालु मंदिर के पहले तल पर स्थापित राम दरबार के दर्शन कर सकेंगे।

  • 101 वैदिक विद्वान इस अनुष्ठान में भाग लेंगे।

मंदिर परिसर में अतिरिक्त देवालयों की स्थापना

राम मंदिर के पहले तल पर राम दरबार के साथ-साथ सात अन्य मंदिरों की स्थापना और अभिषेक भी किया जाएगा। मंदिर परिसर में आयताकार घेरे के चारों ओर और कोनों पर निम्नलिखित प्रमुख देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी:

  • शिवलिंग – मुख्य मंदिर स्थल पर

  • गणेश – दक्षिण-पूर्व कोने में

  • हनुमान – दक्षिणी भुजा में

  • सूर्य देव – दक्षिण-पश्चिम कोने में, रथ सहित

  • अन्नपूर्णा एवं राम रसोई – उत्तरी भुजा में

संतों और धार्मिक नेताओं को निमंत्रण

इस भव्य अनुष्ठान में भाग लेने के लिए देशभर के संतों, महंतों और धार्मिक नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। आयोजन की आध्यात्मिक गरिमा को देखते हुए ट्रस्ट ने उन्हें ‘पवित्र साक्षी’ के रूप में उपस्थित रहने का आग्रह किया है।

अतिथियों के लिए व्यवस्थाएं

मंदिर परिसर में आमंत्रित अतिथियों के लिए सुबह के जलपान और दोपहर के भोजन की विशेष व्यवस्था की गई है, जबकि रात्रि भोजन उनके संबंधित आश्रमों में करने का अनुरोध किया गया है।