शास्त्र ये कभी नही कहते कि मनुष्य अपने उत्तर दायित्वों से विमुख हो जाये: रक्षा सरस्वती देवी

शास्त्र ये कभी नही कहते कि मनुष्य अपने उत्तर दायित्वों से विमुख हो जाये: रक्षा सरस्वती देवी
  • श्री गीता भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करती दीदी रक्षा सरस्वती देवी

देवबंद [24CN]: श्री गीता भवन में चल रहे 36वें नर नारायण सेवा यज्ञ समारोह में वृन्दावन से आयी परम पुज्य दीदी रक्षा सरस्वती देवी ने श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करते हुऐ श्रद्धालूओं को बताया कि ये जीवन मोहमाया का जाल है।

उन्होने कहा कि यह सही है कि ग्रहस्थ आश्रम सबसे बडा आश्रम है। इसमे सही समय पर अपने परिवार का अपने गहस्थ अपने परिवार जनो के प्रति उत्तर दायित्वों का निर्वाह जरूर करना चाहिए। उन्होने बताया कि शास्त्र ये कभी नही कहते कि मनुष्य अपने उत्तर दायित्वों से विमुख हो जाये। लेकिन सही समय पर 50 वर्ष के बाद इस ग्रहस्थ जीवन रूपी मोहमाया जाल से निकल कर भागवत प्राप्ति के लिए वनप्रस्थ आश्रम का पालन करना चाहिए। दीदी जी ने बताया कि प्रभु जिस प्रकार अपने भक्तो व देवताओं की रक्षा करते है साथ देते है उसी प्रकार दैत्यों पर भी अपनी कृपा बरसाते है। इसका उदाहरण महाभारत में मिलता है। जिस समय गोविंद ने शिशुपाल का वध किया शिशुपाल के शरीर से एक दिव्य ज्यौति निकली जिसको प्रभु ने उस पर कृपा दृष्टि करते हुए उस ज्यौति को अपने अन्दर समाहित कर लिया। कथा वाचक दीदी ने विष्णु अवतार के प्रथम अवतार वराह अवतार की कथा भी श्रद्धालुओं को सुनाई।

उन्होने बताया कि कभी भी घर से बाहर और घर में आते समय क्रोध नही करना चाहिए, पत्नी व बच्चों के प्रति स्नेह भावना रखे, भोजन करते समय, सोते समय, जागते समय भी क्रोध नही करना चाािहए। कार्यक्रम के यजमान श्रीमति मीनू गर्ग, तरूण गर्ग रहे तथा प्रसाद का वितरण श्रवण सिघंल की और से किया गया। कथा श्रवण के दौरान अजय बंसल, आदेश गर्ग, सोमनाथ, रितेश बंसल, सुधीर गर्ग, अखिल गर्ग, शालिनी गर्ग, मयंक गुप्ता, रेखा, पल्लवी वर्मा, मंजू गप्ता, संजय मित्तल, डा0 कान्ता त्यागी, पंकज गर्ग आदि उपस्थित रहें।