30 साल बाद रिहा होंगे राजीव के हत्यारे, नलिनी- रविचंद्रन समेत 6 की आजादी पर SC की मुहर

30 साल बाद रिहा होंगे राजीव के हत्यारे, नलिनी- रविचंद्रन समेत 6 की आजादी पर SC की मुहर

राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 6 दोषियों को रिहा कर दिया है.

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में जेल में लंबे वक्त से सजा काट रहे दोषियों जिनमें नलिनी और पी रविचंद्रन समेत 6 दोषी शामिल हैं, को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश दिया है. बता दें कि इस मामले में रविचंद्रन और नलिनी दोनों ही 30 साल से ज्यादा वक्त से जेल में सजा भुगत रहे हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इसी हत्या में दोषी पेरारिवलन को रिहाई के आदेश दिए थे. बाकी दोषियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में इसी को आधार बनाकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी.

इससे पहले 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय-पूर्व रिहाई संबंधी याचिका की सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी, क्योंकि यह एक ऐसे मामले की सुनवाई में व्यस्त थी, जिसकी आंशिक सुनवाई हो चुकी थी.

तमिलनाडु सरकार का समर्थन

तमिलनाडु सरकार ने पहले राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा माफ करने को लेकर राज्य सरकार की 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है.

दो अलग-अलग हलफनामों में, राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि नौ सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने मामले के सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन दोषियों की आजीवन कारावास की शेष सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा था.

राजीव हत्याकांड में 7 को उम्रकैद की सजा

इस हत्याकांड में श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

श्रीहरन और रविचंद्रन दोनों पिछले साल 27 दिसंबर से अब तक पैरोल पर हैं. राज्य सरकार ने दोनों के अनुरोध पर तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982 के तहत पैरोल को मंजूरी दी थी. श्रीहरन 30 साल से अधिक समय से वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में बंद हैं, जबकि रविचंद्रन मदुरै के केंद्रीय कारागार में बंद हैं और उन्हें 29 साल की वास्तविक कारावास और छूट सहित 37 साल की कैद हुई है.

शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को श्रीहरन और रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई संबंधी याचिका पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था. दोनों ने मद्रास हाई कोर्ट के 17 जून के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें समय-पूर्व रिहाई के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था और दोषी ठहराए गए ए जी पेरारीवलन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया था.

हाई कोर्ट ने 17 जून को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी श्रीहरन और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश दिया गया था. हाई कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि उच्च न्यायालयों के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा करने की शक्ति नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के पास अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति है.

संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए शीर्ष अदालत ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. पेरारिवलन जेल में 30 साल से ज्यादा की सजा काट चुके थे.

तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई, 1991 की रात को एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी. मई 1999 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और श्रीहरन की मौत की सजा को बरकरार रखा था.

हालांकि, 2014 में, इसने दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर संथन और मुरुगन के साथ पेरारीवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. श्रीहरन की मौत की सजा को 2001 में इस आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि उनकी एक बेटी है.


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