CBSE-ICSE 12वीं परीक्षा रद्द करने पर बोला SC-जनहित में लिया फैसला

- जस्टिस खानविलकर ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आप 20 लाख छात्रों की, उनको परीक्षा में बैठाने की तैयारियों की जिम्मेदारी लेगे. उन्होंने कहा कि ये पता नहीं कि एग्जाम कब होंगे. ये बच्चो की मनोदशा पर असर डालेगा.
नई दिल्ली: CBSE और ICSE बोर्ड द्वारा 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज (मंगलवार को) एक बार फिर से सुनवाई हुई. इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हर एक परीक्षा अलग है. हर एक का अलग बोर्ड है. CBSE बोर्ड ने जनहित में परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि स्थिति लगातार बदल रही है. ये पता नहीं कि एग्जाम कब होंगे. ये बच्चो की मनोदशा पर असर डालेगा. जस्टिस खानविलकर ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आप 20 लाख छात्रों की, उनको परीक्षा में बैठाने की तैयारियों की जिम्मेदारी लेगे.
एक याचिकाकर्ता अंशुल गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि जो बच्चे 12वीं क्लास में शमिल होने थे, वे NDA और दूसरे प्रतियोगी परीक्षाओं में पेश होंगे. क्या सिर्फ 12वीं परीक्षा कोविड खतरे का कारण बन सकती है, दूसरी नही. ये तो सम्भव नही है. फिर 12 वी परीक्षा को रद्द करने का क्या औचित्य है. जिसके बाद जस्टिस खानविलकर ने कहा कि छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर की. परीक्षा में पेश होने के लिए अपनी असमर्थता जाहिर की. इसके बाद परीक्षा रद हुई. क्या आप चाहते है कि ये फैसला पलटकर फिर से 20 लाख छात्रों को अधर में डाल दें. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि CBSE/ICSE परीक्षा रद्द करने के फैसले को किसी की व्यक्तिगत अवधारणा से नहीं तय किया जा सकता. ये बड़े जनहित में लिया गया फैसला था. हम प्रथम दृष्टया सरकार के इस फैसले से सहमत थे.