मणिपुर वायरल वीडियो पर SC में सुनवाई शुरू, CJI चंद्रचूड़ ने कहा- यह इकलौती घटना नहीं है

मणिपुर वायरल वीडियो पर SC में सुनवाई शुरू, CJI चंद्रचूड़ ने कहा- यह इकलौती घटना नहीं है

नई दिल्ली। मणिपुर वायरल वीडियो मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हो रही है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वीडियो के सामने आने के बाद यह मामला सामने आया, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है, जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है। अन्य महिलाएं भी हैं।

सीजेआई ने कहा कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक व्यवस्था भी बनानी होगा। इस व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर कार्रवाई के सही तरीके पर फैसला करेगा। अब हमारे पास कोई साक्ष्यात्मक रिकार्ड नहीं है।

इससे पहले, मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं। इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है।

तुषार मेहता ने कहा कि हमने यह कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए। हमने कभी असम नहीं कहा।

दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ सहयोग कर रही थी, जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ में ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया जो उन्होंने करते थे। सिब्बल ने कहा,

उन महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। हमारे पास अभी भी शव नहीं हैं। 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। जब कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ। तो फिर हम कैसे भरोसा करें? ऐसी कई घटनाएं होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं, जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो।

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। वहीं, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने यौन हिंसा से संबंधित हैं, और कितने आगजनी, हत्या से संबंधित हैं। इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।