पूजा प्रेम उत्साह और उमंग का महीना है सावन’

  • स्पेशल स्टोरी

देवबंद (खिलेन्द्र गांधी): हमारे ऋषि मुनियों ने तमाम तीज त्योहारों को हमारे स्वस्थ्य और मनोभावों तथा संस्कृति से जोडा है। वर्षा ऋतु में पृथ्वी का श्रंगार हरियाली से होता है। चारों ओर पेड पौधों पर बहार आ जाती है, जो पेड पौधे गर्मी से झुलसने के कारण अपनी खूबसूरती खो देते है, वह सब हरे भरे होकर लहलहाने लगते है। इसी समय में सावन का मनमोहक महीना भी आता है, जिसमें महाशिवरात्रि, हरियाली तीज और भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार आता है ।

शिवरात्रि का पवित्र त्योहार सावन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी या चौदस में भगवान शिव पर जलाभिषेक करके मनाया जाता है, इस माह हिन्दू समाज वृत रखता है तथा शिवरात्रि को महादेव शिव के निराकार रूप शिवलिंग पर जलाभिषेक के उपरान्त ही यह वृत समाप्त होता है। सावन में देश के कोने कोने से श्रद्धालू हरिद्वार पहुंचकर गंगाजल लेकर अपने-अपने शिवालयों या जहां उनके द्वारा जल चढाना बोला गया हो, वहा जल चढाकर अपनी मन्नतें मांगते है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भगवान शिव पर जलाभिषेक पुरा महादेव मंदिर, मेरठ के बाबा ओघडनाथ मंदिर, देवबंद स्थित मनकेश्वर महादेव मंदिरों में विशेष रूप से होता है। जिसके लिये मंदिरों के पुजारियों व कमेटी सदस्यों द्वारा पहले से ही सब तैयारी की ली जाती है। शिवरात्रि के बाद सावन के शुक्लपक्ष की तीज, जिसको हरियाली तीज के अलावा झूलों का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व उत्साह और उमंगों भरा है।

इस मौसम में जैसे वर्षा होने से पृथ्वी हरियाली का श्रृंगार करके नवयौवना हो जाती है, ठीक इसी प्रकार इस मौसम में युवक और युवतियों में यौवन का उत्साह भर जाता है। त्रेताकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचा कर झूला झूलकर सावन को अति महत्वपूर्ण बना दिया था और सदियों से सावन में और खासकर शुक्लपक्ष की तीज को तमाम महिलाएं सजधज कर गीत गाते हुए झूला झूलती है, और हरियाली तीज के गीत गाकर त्योहार को मनाती है। सावन में ही हिन्दू संस्कृति का सबसे बडा और पवित्र त्योहार रक्षाबंधन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा अर्थात सावन के अंतिम दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है इस त्यौहार पर बहन भाई की कलाई पर रेशम की डोरी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लेती है और इसी कारण सावन का महिना पूजा, प्रेम और उत्साह से भरा महीना है।