सरसंघचालक मोहन भागवत आज कांगड़ा में प्रबुद्धजन संगोष्ठी को करेंगे संबोधित, जानिए पूरा कार्यक्रम

सरसंघचालक मोहन भागवत आज कांगड़ा में प्रबुद्धजन संगोष्ठी को करेंगे संबोधित, जानिए पूरा कार्यक्रम
  •  राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत आज शाम तीन बजे बहुतकनीकी संस्थान कांगड़ा के सभागार में वर्तमान परिदृश्य में स्वयंसेवक संघ की भूमिका को लेकर प्रबुद्धजन संगोष्ठी को संबोधित करेंगे। मोहन भागवत पिछले कुछ दिनों से जिला कांगड़ा में हैं।

धर्मशाला :राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत आज शाम तीन बजे बहुतकनीकी संस्थान कांगड़ा के सभागार में वर्तमान परिदृश्य में स्वयंसेवक संघ की भूमिका को लेकर प्रबुद्धजन संगोष्ठी को संबोधित करेंगे। मोहन भागवत पिछले कुछ दिनों से जिला कांगड़ा में हैं। बीते रोज उन्होंने गुप्त गंगा में प्रदेश के प्रांत पदाधिकारियों व जिला प्रचारकों के साथ बैठक की थी। बैठक में मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश में चल रही शाखाओं को सक्रियता लाना रहा। यहां बैठकों में भाग लेने के बाद राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला के त्रिगर्त सभागार में सैनिक सम्मेलन में भाग लिया और पूर्व सैनिकों से संवाद किया।। मोहन भागवत जब हिमाचल देवभूमि पहुंचे तो  गगल हवाई अड्डे में अपने संदेश में कहा था कि राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने को सदैव तत्पर रहने वाले हमारे सैनिकों व पूर्व सैनिकों को नमन करता हूं।

स्‍वर्ण जयंती के नजदीक है आरएसएस

आरएसएस के वर्ष 2025 में सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, जिसे स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। स्वर्ण जयंति वर्ष में आरएसएस की कार्य विस्तार की योजना है। इसको लेकर भी वह प्रचारकों को जरूरी सलाह देंगे। आरएसएस में 1071 मंडल है, 308 बस्ती भी बनाई गई है। हिमाचल में 1100 शाखाएं हिमाचल प्रदेश में चल रही है। आरएसएस ने हर मंडल तक अपना काम पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 2024 तक हर गांव व शहर तक संघ का मंडल शुरू किया जाएगा।

1989 में बाला साहब देवरस पहुंचे थे कांगड़ा कार्यालय

हिमाचल के इतिहास में साल 1989 के बाद यह दूसरा मौका होगा जब संघ के सरसंघचालक यहां पहुंच रहे हैं। इससे पहले 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बाला साहब देवरस कांगड़ा कार्यालय पहुंचे थे। आजादी से पहले 1942 को इसी स्थान पर संघ की शाखाएं लगनी शुरू हुई थी। प्रदेश के प्रथम संघ प्रचारक ठाकुर राम सिंह के नेतृत्व में इसी स्थान पर संघ की पहली शाखा लगी थी। पहले यह स्थान आचार्य विष्णु गिरी का स्थान था और उन्होंने जब शाम की गतिविधियों को देखा तो संघ की गतिविधियों से वह काफी प्रभावित हुए और यह स्थान उन्होंने संघ के नाम कर दिया।