स्पर्श कार्यशाला में बच्चों को सिखाया सारंगी वादन
- सहारनपुर में स्पिक मैके की कार्यशाला में बच्चों को सारंगी वादन सिखाती गौरी बैनर्जी।
सहरनपुर। स्पिक मैके के तत्वावधान में चल रही स्पर्श कार्यशाला में बच्चों ने आज परम्परागत वाद्य सारंगी का प्रथम स्पर्श किया। शारदा नगर स्थित केएलजी स्कूल में आयोजित स्पर्श कार्यशाला में आज स्कूल की प्रधानाचार्या बबीता मलिक ने गुलदस्ता भेंटकर सारंगी वादक गौरी बैनर्जी का स्वागत किया। गौरी बैनजी ने सारंगी के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि सारंगी के प्रथम जनक शिव उपासक रावण माने गए हैं।
रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे थे। उस वृक्ष पर लटके एक चमगीदड़ की त्वचा पर हवा चलने से एक आवाज निकल रही थी जिसे सुनकर विद्वान रावण ने सारंगी के प्रारम्भिक रूप का निर्माण किया जिसे रावण हत्था के नाम से जाना गया और आज भी राजस्थानी लोक गायन में उसका प्रयोग किया जाता है।
गौरी बैनजी ने बच्चों को मारू विहाग सुनाकर सारंगी का परिचय देते हुए सारंगी के मुख्य चार तारों एवं 36 तरफ की तारों की जानकारी देते हुए सारंगी के स्वरूप के बारे में अवगत कराया। उन्होंने पहले दिन सीधे हाथ के चलन में सारंगी के गज को चलाना सिखाया। उसके बाद सा रे एवं ग स्वर को बजाना सिखाया। गौरी बैनर्जी आकाशवाणी की ए ग्रेड की प्रसिद्ध सारंगी कलाकार होने के साथ-साथ एक कुशल चार्टेड एकाउंटेंट भी हैं। उन्होंने सारंगी की शिक्षा अपनी माता एवं उस्ताद साबिर खान से प्राप्त की।
उन्होंने देश-विदेश में अनेक प्रस्तुतियां दी। बच्चों को सारंगी सरलता से सिखाते हुए कहा कि अगर लग्न से सीखा जाए तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। समन्वयक शैफाली मल्होत्रा ने बताया कि सारंगी सुनते ही बच्चों में उसे छूने और बजाने की होड़ लग गई। इसलिए इस कार्यशाला का नाम स्पर्श सार्थक होता नजर आ रहा है।