संभल में हुई हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस घटना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज है, लेकिन पुलिस मामले की जांच में तेजी से जुटी हुई है। अब तक 74 आरोपियों की पहचान हो चुकी है, जिनकी तस्वीरें यूपी पुलिस ने सार्वजनिक कर दी हैं। इनमें से 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि शेष फरार आरोपियों की तलाश जारी है।
छापेमारी और जांच का दायरा बढ़ा
पुलिस ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी शुरू कर दी है। हिंसा के दौरान बनाए गए वीडियो और अन्य डिजिटल सबूतों के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस ने कई मोबाइल फोन जब्त किए हैं, जिनके डेटा और डंप डेटा को रिकवर किया जा रहा है। इससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या दंगा पहले से योजनाबद्ध था।
डिजिटल सबूत जुटाने पर फोकस
पुलिस ने हिंसा के दौरान इस्तेमाल हुए मोबाइल नेटवर्क, सीसीटीवी फुटेज, ड्रोन कैमरों से ली गई फुटेज और सोशल मीडिया पोस्ट की जांच शुरू कर दी है। इन सबूतों से दंगाइयों की भूमिका और हिंसा के पीछे की साजिश का खुलासा करने का प्रयास किया जा रहा है।
मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान हुई थी झड़प
संभल में यह हिंसा उस समय हुई जब कोर्ट के आदेश पर मुगलों के समय की एक मस्जिद का सर्वेक्षण चल रहा था। पुलिस की मौजूदगी में हो रहे इस सर्वे के दौरान भारी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन करने पहुंच गए। इसी दौरान झड़प हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।
सियासी हलचल
इस घटना के बाद से उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विपक्षी दल लगातार योगी सरकार और केंद्र सरकार को इस मामले में निशाने पर ले रहे हैं। संभल हिंसा की गूंज संसद तक पहुंच चुकी है, जहां विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए।
निष्कर्ष
पुलिस की जांच तेज है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है। घटना से जुड़े हर पहलू की गहराई से जांच हो रही है। हिंसा से जुड़े डिजिटल सबूतों और वीडियो के विश्लेषण से दंगाइयों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। इस घटना को लेकर प्रदेश में माहौल संवेदनशील बना हुआ है, और सभी की नजरें पुलिस की कार्रवाई पर टिकी हैं।