सलमान खुर्शीद का बड़ा बयान: अनुच्छेद 370, कश्मीर की समृद्धि और पीओके पर भारत की दृढ़ नीति पर रखी बात

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने हाल ही में इंडोनेशिया में एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर, अनुच्छेद 370 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर भारत की नीति को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर लंबे समय से एक जटिल समस्या रहा है, और इसका एक बड़ा पहलू भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में परिलक्षित होता था।
अनुच्छेद 370 पर बोले खुर्शीद
खुर्शीद ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से कुछ हद तक अलग-थलग माना जाता था। हालांकि, इस अनुच्छेद को 2019 में समाप्त कर दिया गया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया और यह क्षेत्र पूर्ण रूप से भारतीय संविधान के अधीन आ गया। इसके बाद हुए चुनावों में करीब 65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो लोकतांत्रिक भागीदारी का प्रमाण है।
उन्होंने आगे कहा कि आज कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार कार्यरत है और वहां की जनता स्थिरता और समृद्धि चाहती है। खुर्शीद के अनुसार, कश्मीर में विकास की जो प्रक्रिया शुरू हुई है, लोग अब उसे जारी रखना चाहते हैं।
पीओके पर भारत की स्थिति स्पष्ट
खुर्शीद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर भारत की पारंपरिक नीति को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद द्वारा पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव के अनुसार पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और उसे भारत में वापस लाया जाना चाहिए। इसके प्रतीक रूप में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लिए सीटें आज भी खाली रखी जाती हैं, जो इस लक्ष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अनुच्छेद 370 क्या है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जो 1950 में लागू हुआ, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा और स्वायत्तता प्रदान करता था। यह प्रावधान राज्य को संविधान के कई हिस्सों से छूट देता था, जिससे जम्मू-कश्मीर को एक विशिष्ट पहचान मिली थी। हालांकि, इसे लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे और इसे विभाजनकारी बताया जाता रहा। 2019 में भारत सरकार ने इसे निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित कर दिया।
सलमान खुर्शीद के इस बयान से भारत की कश्मीर नीति, संविधानिक निर्णयों और पीओके को लेकर स्थिति एक बार फिर वैश्विक मंच पर स्पष्ट रूप से सामने आई है।