शशि थरूर और मनीष तिवारी के बाद सलमान खुर्शीद ने भी कांग्रेस को दे दिया झटका

शशि थरूर और मनीष तिवारी के बाद सलमान खुर्शीद ने भी कांग्रेस को दे दिया झटका

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से अलग रुख अपनाते हुए कहा है कि किसी तीसरे पक्ष की कोई मध्यस्थता नहीं हुई थी और दोनों देशों के बीच संघर्ष में ठहराव डीजीएमओ स्तर की बातचीत के माध्यम से हुआ था।

कांग्रेस पार्टी की ओर से बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जो दावा किया जा रहा है उसका सच क्या है? इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय हालांकि बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि संघर्षविराम दोनों देशों ने आपसी सहमति से किया था और किसी भी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। फिर भी कांग्रेस यही सवाल दोहराये जा रही है लेकिन अब पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस सवाल से खुद को अलग कर रहे हैं। साथ ही जिस तरह पार्टी की ओर से नाम नहीं दिये जाने के बावजूद कांग्रेस नेताओं शशि थरूर और मनीष तिवारी को सरकार ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है उसको लेकर भी कांग्रेस में असहजता देखी जा रही है क्योंकि यह दोनों ही नेता पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की ओर से बनाये गये समूह जी-23 के सदस्य रहे हैं और अक्सर इनकी राय पार्टी की आधिकारिक राय से जुदा होती है। शशि थरूर जहां अक्सर राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार के साथ खड़े नजर आते हैं वहीं मनीष तिवारी ने सेना में भर्ती की योजना अग्निवीर के समर्थन में आलेख भी लिखे थे जिस पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई थी। वहीं अब तक गांधी परिवार के करीबी माने जाते रहे सलमान खुर्शीद ने विदेश जाने से पहले जो बयान दिया है उससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गयी हैं

हम आपको बता दें कि विदेश भेजे गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से अलग रुख अपनाते हुए कहा है कि किसी तीसरे पक्ष की कोई मध्यस्थता नहीं हुई थी और दोनों देशों के बीच संघर्ष में ठहराव डीजीएमओ स्तर की बातचीत के माध्यम से हुआ था। सलमान खुर्शीद ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ब्रीफिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच जो समझ बनी उसमें किसी की कोई दखलअंदाज़ी नहीं थी, कोई मध्यस्थता नहीं हुई। लेकिन जब ऐसी घटनाएँ दुनिया में होती हैं तो अलग-अलग लोग संदेश देने की कोशिश करते हैं। लेकिन जो भी हुआ, वह केवल दो देशों के बीच हुआ। जब मामला बढ़ा, तो यह हमारे दो देशों के बीच था। जब यह समाप्त हुआ, तो वह भी हमारे बीच ही समाप्त हुआ। यह पहल पाकिस्तानी डीजीएमओ की ओर से हुई, उन्होंने कहा कि हमें इसे समाप्त कर देना चाहिए। हमने कहा कि अगर वे तैयार हैं, तो ऐसा किया जा सकता है।” खुर्शीद ने यह भी कहा कि देश के भीतर राजनीति करना हमारा अधिकार और कर्तव्य है; वह अलग है। लेकिन देश के बाहर हमें जो कहना है, वह अलग होता है।” हम आपको बता दें कि सलमान खुर्शीद उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जिसका नेतृत्व जेडीयू के संजय झा कर रहे हैं और यह दल दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की ओर से दिये गये इस बयान से विपक्षी पार्टी के लिए और अधिक शर्मिंदगी की स्थिति पैदा हो गई है, जिसने बार-बार ट्रंप के दावे का हवाला देकर मोदी सरकार से यह सवाल किया है कि क्या संघर्षविराम किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से हुआ था? वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी ने भी अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हम आपको बता दें कि विदेश भेजे गये एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शशि थरूर कर रहे हैं। पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने अपने एक आलेख के जरिये कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष किया है। थरूर ने अपने लेख में इस बात पर दुख जताया है कि कैसे राजनीतिक दल “एकजुटता का प्रदर्शन करने की बजाय शोक को चुनावी लाभ के लिए हथियार बना रहे हैं”। हम आपको बता दें कि पहलगाम हमले और प्रतिनिधिमंडल में उनको शामिल किये जाने को लेकर उठे विवाद के बीच शशि थरूर की ओर से राजनीतिक सहमति का आह्वान करना कांग्रेस के लिए कटाक्ष माना जा रहा है।

वहीं शशि थरूर की तरह मनीष तिवारी ने भी संकेत दिया है कि वे कांग्रेस के निर्णय की परवाह किए बिना वह “राष्ट्रीय कर्तव्य” निभाएंगे। हम आपको बता दें कि कांग्रेस की ओर से अपना नाम नहीं दिये जाने के बावजूद जब मोदी सरकार ने मनीष तिवारी को सरकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया तो उनकी पार्टी ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद मनीष तिवारी ने एक्स पर एक हिंदी फिल्म का गाना पोस्ट किया— “देखो वीर जवानों अपने खून पे ये इल्ज़ाम न आए, माँ न कहे कि मेरे बेटे वक्त पड़ा तो काम न आए”। यह गीत राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वहन की भावना को दर्शाता है।

बहरहाल, हम आपको बता दें कि प्रतिनिधिमंडल के चयन को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब संसदीय कार्य मंत्री द्वारा कांग्रेस से नाम मांगने के बावजूद केंद्र सरकार ने कथित रूप से स्वयं ही कांग्रेस के चारों सदस्यों को नामित कर दिया, जिससे कड़वाहट पैदा हो गई। हम आपको बता दें कि कांग्रेस से जो सदस्य प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं उनके नाम हैं पूर्व विदेश मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर, पूर्व राज्य मंत्री मनीष तिवारी और कांग्रेस सांसद अमर सिंह।