Sakat Chauth Vrat Katha: सकट चौथ का व्रत करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा
Sakat Chauth Vrat Katha: आज सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करते समय यह व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। व्रत कथा के अनुसार, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के राज में एक कुम्हार था। उस कुम्हार ने एक बर्तन बनाया और उसमें आवा लगाया। लेकिन काफी देर तक वो आवा पका नहीं था। वह बार-बार नुकसान देख रहा था। ऐसे में वो मदद मांगने के लिए एक तांत्रिक के पास गया। तांत्रिक ने कुम्हार की पूरी बात सुनी। तांत्रिक ने कुम्हार से एक बच्चे की बली देने को कहा।
तांत्रिक के कहने पर कुम्हार ने एक छोटे बच्चे को आवा में डाल दिया। इस दिन संकष्टी चतुर्थी थी। जब उस बच्चे की मां को पता चला कि उसकी मां के साथ क्या हुआ है तो उसकी मां ने अपनी संतान के प्राणों की रक्षा के लिए भगवान गणेश की अराधना की और अपने बच्चे को बचाने के लिए प्रार्थना की।
इसके बाद जब कुम्हार अपने बर्तनों को देखने के लिए दिया गया तो उसके बर्तन पके हुए थे। इसके साथ ही वो छोटा बच्चा भी सुरक्षित था। यह देख कुम्हार डर गया। वह राजा के पास गया और अपनी पूरी कहानी सुनाई। राजा ने बच्चे और उसकी मां को अपने पास बुलवाया। तब उस बच्चे की मां ने संकटों को दूर करने वाली सकट चौथ की महिमा का महात्मय बतलाया। तब से लेकर आज तक महिलाएं अपनी संतान और अपने परिवार की कुशलता और सौभाग्य के लिए सकट चौथ का व्रत करती आ रही हैं। सकट चौथ का महत्व बेहद विशेष माना गया है