सचिन का सियासी सफर! विरासत में मिली राजनीति..कम उम्र में संभाली बड़ी जिम्मेदारी… जानें पूरी कहानी

सचिन का सियासी सफर! विरासत में मिली राजनीति..कम उम्र में संभाली बड़ी जिम्मेदारी… जानें पूरी कहानी

नई दिल्ली: यहां शह और मात सिर्फ चुनावों में नहीं, बल्कि तेवर और बयानों में भी होती है. जमीनी सियासत और राजनीतिक विरासत वाले इस प्रदेश में एक ऐसा ही नेता है, जिसने काफी कम उम्र में अपने सियासी सफर का आगाज किया, फिर पार्टी के तमाम दिग्गजों के मुकाबले काफी कम उम्र में एक अच्छी पकड़ बनाई. जी हां.. ये थे राजस्थान कांग्रेस के नेता और टोंक विधायक सचिन पायलट, जिन्होंने महज 26 साल की उम्र में सांसद की गद्दी का स्वाद चखा, बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारियां बढ़ीं और 40 साल तक आते-आते प्रदेश अध्यक्ष, बाद में बतौर उप मुख्यमंत्री सूबे का दारोमदार संभाला… ऐसे में चलिए आज राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम से ठीक पहले, सचिन पायलट के सियासी सफर पर गौर करें…

पायलट की शुरुआती जिंदगी…

सचिन पायलट साल 1977 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्में थे. उनके पिता राजेश पायलट की एयर फोर्स में तैनाती थी, जो अपने जीवन में आगे चलकर कांग्रेस के साथ जुड़े और प्रदेश की राजनीति में एक बड़ी शख्सियत बनें. न सिर्फ ये, पायलट की माता जी भी राजनीति में सक्रिय रही थीं, वे भी विधायक रहीं. लिहाजा शुरुआत से ही पायलट को परिवार में ही सियासी माहौल देखने मिला.

प्रारंभिक शिक्षा फिर कांग्रेस का साथ…

कहा जाता है कि पायलट कभी राजनीति में कदम नहीं रखना चाहते थे. दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक हासिल की. फिर वो आगे की पढ़ाई के लिए अमरीका के पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली.

अब यहां से सचिन के सियासी सफर का आगाज होता है. राजनीतिक जीवन मे उनका पहला दिन था 10 फरवरी 2002 का, ये दिन उनके लिए बेहद ही खास रहा था. दरअसल इस 10 फरवरी को उनके पिता राजेश पायलट का जन्मदिन होता है. यहा बता दें कि साल 2000 में उनकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.

राजनीति से जुड़ने के महज दो साल बाद, यानि साल 2004 में सचिन दौसा से सांसद चुने गए. इस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 26 साल थी. फिर इसके दो साल बाद, 2006 में पायलट नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य भी बने.

सियासी सफर में यूं आई थी रुकावट…

बात साल 2009 के लोकसभा चुनाव की है, जब पायलट भाजपा उम्मीदवार किरण माहेश्वरी को हराकर अजमेर से सांसद चुने गए. इसके बाद 2012 में मनमोहन सरकार में पायलट को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रीय मंत्री बनाया. हालांकि साल 2014 में पूरे देश में मोदी लहर आई, लोकसभा चुनाव की मोदी लहर में पायलट अपनी अजमेर सीट नहीं बचा पाए, जिसके बाद उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.