RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- भारत में अभिवादन पद्धति है जय श्रीराम, विरोध बर्दाश्त नहीं…

RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- भारत में अभिवादन पद्धति है जय श्रीराम, विरोध बर्दाश्त नहीं…
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा ने कहा कि सांस्कृतिक परंपरा के विरुद्ध कोई चलेगा तो इसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफार्म का नियम बना है तो इसे सभी को मानना ही होगा।

रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत में जय श्रीराम या जय सियाराम अभिवादन की पद्धति है। भारत में आने वाले विदेशी लोग भी अभिवादन में जय श्रीराम कहते हैं। भारत की सांस्कृतिक परंपरा के विरुद्ध कोई चलता है तो समाज इसे सहन नहीं करेगा। धार्मिक स्वतंत्रता तो सभी को है, परंतु समाज में शांति से रहने के लिए इसका उपयोग कहां करना और कहां नहीं करना जानना होगा। कर्नाटक में हिजाब विवाद का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि यूनिफार्म का नियम बना है तो इसे सभी को मानना ही होगा। यदि किसी स्कूल में बच्चों द्वारा जय श्रीराम कहने पर माफीनामा लिखाया गया है तो वहां के समाज के लोग इसे देखेंगे। वे रविवार को कर्णावती में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। गौरतलब है कि गुजरात के मिशनरी स्कूल ने एक छात्र को जय श्रीराम कहने पर उससे माफीनामा लिया था।

हिंदू समाज के बारे में फैलाई जा रही गलतफहमियां

दत्तात्रेय ने कहा कि अभी भी भारत के हिंदू समाज, इतिहास व संस्कृति आदि के बारे में गलतफहमियां फैलाने का प्रयास जारी है। इसलिए उसका सही चित्रण समाज के बीच लाने की जरूरत है। भारत के वैचारिक विमर्श को मजबूत करने का काम करना होगा।

भाजपा को मिली जीत में लोगों की भूमिका रही

विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत में संघ की भूमिका के सवाल पर कहा कि इसमें जनता की भूमिका रही। संघ तो समाज के लिए काम करता है। राष्ट्रीय परिदृश्य में वोट डालने के लिए लोगों से अपील की जाती है ताकि अधिक से अधिक मतदान हो।

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए कार्यों के अवसर बढ़ाना होगा

इस बार प्रतिनिधि सभा की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया। उसकी जानकारी देते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि अर्थव्यवस्था को उच्चतम स्तर पर ले जाने की क्षमता भारत में है। संघ का मानना है कि कोरोना संकट के समय रोजगार एवं आजीविका पर जो प्रभाव पड़ा इससे सबक लेते हुए मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान, विकेंद्रीकरण एवं लाभांष का न्याय संगत वितरण करने वाले भारतीय आर्थिक माडल को महत्व दिया जाना चाहिए। भारत को श्रेष्ठ, संपन्न एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग एवं कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सरकार की योजना भी उसी अनुरूप बनानी चाहिए। ग्रामीण रोजगार, असंगठित क्षेत्र एवं महिलाओं के रोजगार और अर्थव्यवस्था में उनकी समग्र भागीदारी जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए। तेजी से बदलती आर्थिक तथा तकनीकी परिदृश्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें भी नई पद्धति ढूंढनी होगी। इसके लिए आइआइटी, आइआइएम, विश्वविद्यालयों, सामाजिक व धार्मिक संगठनों आदि का सहयोग लेना चाहिए। पत्रकार वार्ता के समय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर एवं आलोक कुमार उपस्थित थे।