हिंदू-मुस्लिमों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता से पीछा हटा आरएसएस: मदनी

हिंदू-मुस्लिमों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता से पीछा हटा आरएसएस: मदनी
फाईल फोटो मौलाना अरशद मदनी
  • जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर जताई आपत्ति

देवबंद: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर बड़ा आरोप लगाया है। मदनी ने कहा कि आरएसएस हिन्दुस्तान में हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति, एकता, प्रेम और सदभाव को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता से पीछे हट गया है।

सोमवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में आपसी समझ बूझ और भ्रम को समाप्त करने के लिए उनकी मोहन भागवत से जो बात हुई थी, आरएसएस उस पर अब कायम नहीं रहा। उन्होंने कहा कि आरएसएस के नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि वो सांप्रदायिक सौहार्द नहीं चाहते। मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के हर हिंदुस्तानी के हिंदू होने के बयान को भी निर्रथक बताते हुए कहा कि हर हिंदुस्तानी हिंदू नहीं बल्कि हिंदी (भारतीय) है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि देश में नफरत के माहौल की समाप्ति के लिए रानीतिक बदलाव आवश्यक है। अगर विपक्षी दल एकजुट नहीं रहे तो स्वयं उनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह कर्नाटक में सांप्रदायिक शक्तियों को हराया गया, उसी तरह यह राष्ट्रीय स्तर पर भी जरुरी है।

मेवात में पीडितों को दिया गया 40 लाख रुपये का चेक
देवबंद: मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि हरियाणा के मेवात में रेहड़ी पटरी और ठेला लगाने वाले 200 पीड़ितों के लिए 40 लाख रुपये की सहायता राशि का चेक जारी किया गया है। जिससे हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के पीडित लोग लाभांवित होंगे। कहा कि जमीयत स्थापना के समय ही से ही राहत और कल्याण कार्यों में अग्रणी रही है। संगठन ने यह काम कभी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि मानवता के आधार पर किया है।

दंगों से मुस्लिमों का नहीं देश का नुकसान
देवबंद: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बार फिर कहा कि सांप्रदायिक तत्व यह समझते हैं कि दंगों से मुसलमानों को नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन वह यह नहीं समझते कि इससे देश का नुकसान होता है और देश की छवि को भी भारी क्षति होती है। कहा कि नूंह में 28 अगस्त को कड़ी सुरक्षा में पुनः यात्रा निकाली गई, लेकिन कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। हम इसे एक अच्छा कदम समझते हैं। लेकिन इस घटना से एक बार फिर साबित हो गया कि अगर प्रशासन और पुलिस ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाए तो कभी दंगा नहीं हो सकता। उन्होंने मांग की है कि दंगा रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को उत्तरदायी बनाया जाए।