नागपुर। धर्म संसद के बैनर तले आयोजित कार्यक्रमों में हिंदू और हिंदुत्व पर कही बातों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने असहमति जताई है। कुछ सप्ताह पहले दो स्थानों पर हुए आयोजनों को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हुई थी। हिंदुत्व और राष्ट्रीय अखंडता विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में भागवत ने कहा, धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के अनुसार नहीं थीं। अगर कोई बात किसी समय गुस्से में कही जाए तो वह हिंदुत्व नहीं है।

इस तरह की बातों पर भरोसा नहीं

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग इस तरह की बातों पर भरोसा नहीं करते हैं। बीते दिसंबर में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया था जबकि रायपुर में हुई धर्म संसद में महात्मा गांधी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की गई थी।

वीर सावरकर का दिया हवाला

संघ प्रमुख ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी लेकिन उन्होंने यह बात भगवद गीता का संदर्भ लेते हुए कही थी, किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं।

हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली

क्या भारत ‘हिंदू राष्ट्र’ बनने की राह पर है… इस सवाल पर मोहन भागवत ने कहा- यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। भले ही इसे कोई स्वीकार करे या न करे। यह वहां (हिंदू राष्ट्र) है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है। यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना। राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता की कदापि जरूरी नहीं है। भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता।

संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं

मोहन भागवत ने स्‍पष्‍ट रूप से कह कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है। इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी। यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिये करना चाहते हैं।

प्रणब ने कहा था- अलगाववादियों की घर वापसी कराओ

भागवत ने 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आरएसएस के कार्यक्रम में आमंत्रित करने के समय का संस्मरण भी साझा किया। भागवत ने कहा कि उस समय घर वापसी (हिंदू धर्म में वापसी) का मुद्दा काफी गर्म था। संसद में भी इसे लेकर हंगामा हो रहा था। नागपुर में आयोजित कार्यक्रम के लिए आमंत्रण लेकर जब वह राष्ट्रपति भवन गए तब घर वापसी कार्यक्रम पर बोलने के लिए काफी तैयारी करके गए थे लेकिन प्रणब मुखर्जी ने उस पर कुछ नहीं पूछा।

भारत का संविधान सबसे सेकुलर

उलटे वह (प्रणब मुखर्जी) बोले- जिन समुदायों के लोग देश से अलग होने की बात करते हैं, उनकी घर वापसी क्यों नहीं करवाते। साथ ही कहा, अमेरिका हमसे सेकुलरिज्म की बात करता है लेकिन उसे नहीं पता कि दुनिया का सबसे सेकुलर संविधान भारत का है। हमारी पांच हजार साल पुरानी परंपराएं सेकुलर हैं।