गुरुग्राम जमीन घोटाला: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, ED ने दाखिल की चार्जशीट

गुरुग्राम जमीन घोटाला: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, ED ने दाखिल की चार्जशीट

नई दिल्ली: जाने-माने बिजनेसमैन और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुग्राम जमीन घोटाले के मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आरोपों के मुताबिक वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में 3.53 एकड़ ज़मीन खरीदी थी। यह जमीन गुरुग्राम के शिखोपुर में खरीदी गई थी।

18 घंटे से ज्यादा हुई थी पूछताछ

आरोपों के मुताबिक परियोजना पूरी किए बिना ही उतनी ही ज़मीन 58 करोड़ रुपये में बेच दी गई। चार्जशीट में रॉबर्ट वाड्रा को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से 18 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की थी। रॉबर्ट वाड्रा के साथ-साथ हरियाणा के कई अन्य कांग्रेस नेताओं से भी पूछताछ की गई थी।

क्या है पूरा मामला?

  • 1 सितंबर 2018 को गुरुग्राम पुलिस ने एक एफआईआर (नं. 288) दर्ज की थी जिसमें आरोप लगाया गया कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव (सेक्टर 83) में 3.53 एकड़ ज़मीन धोखाधड़ी से खरीदी थी। यह ज़मीन उन्होंने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लि. से 12 फरवरी 2008 को खरीदी थी और इसमें झूठा दस्तावेज़ी बयान देने का आरोप है।
  • आरोप ये भी है कि वाड्रा ने अपना निजी प्रभाव इस्तेमाल करके इस ज़मीन के लिए कमर्शियल लाइसेंस भी हासिल कर लिया।
  • अब इस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 16 जुलाई 2025 को एक अस्थायी कुर्की आदेश (Provisional Attachment Order) जारी किया है। इसके तहत रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनियों जैसे स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. की कुल 43 अचल संपत्तियां जिनकी कीमत 37.64 करोड़ रुपये है, कुर्क की गई हैं।
  • इसके बाद 17 जुलाई 2025 को राउज़ एवेन्यू कोर्ट, नई दिल्ली में इस मामले में 11 लोगों/संस्थाओं के खिलाफ चार्जशीट (Prosecution Complaint) दाखिल की गई है। इसमें रॉबर्ट वाड्रा, उनकी कंपनियां, सत्यनंद याजी, केवल सिंह विर्क, और उनकी कंपनी ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लि. को आरोपी बनाया गया है।
  • हालांकि, अभी कोर्ट ने इस चार्जशीट पर संज्ञान (cognizance) नहीं लिया है यानी अदालत ने अभी यह तय नहीं किया है कि इन आरोपों पर मुकदमा चलाया जाएगा या नहीं।

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