रजनीकांत के खिलाफ समर्थकों में ही गुस्सा, प्रदर्शन करने वालों को RMM की चेतावनी

रजनीकांत के खिलाफ समर्थकों में ही गुस्सा, प्रदर्शन करने वालों को RMM की चेतावनी

चेन्नई : सुपरस्टार रजनीकांत ने बीमारी के बाद खुद को चुनावी राजनीति से दूर रखने का निर्णय किया है. तमिलनाडु के चुनावी सीजन में उनका ये फैसला समर्थकों को भी रास नहीं आ रहा है. उनके अपने संगठन रजनीकांत मक्कल मंदरम (RMM) से जुड़े कार्यकर्ता भी नाखुश हैं और वो अपनी नाराजगी का इजहार भी कर रहे हैं.

खबर आई थी कि ऐसे ही कुछ निराश कार्यकर्ता रजनीकांत के खिलाफ ही चेन्नई में झंडा बुलंद करने की योजना बना रहे हैं. जिसके मद्दनेजर RMM के जिला सचिव की तरफ के एक बयान जारी किया गया है. नॉर्थ चेन्नई के जिला सचिव संथानम की तरफ से जारी इस बयान में कहा गया कि कार्यकर्ताओं को इस कथित विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होना चाहिए.

गौरतलब है कि 31 दिसंबर को रजनीकांत एक बड़ा ऐलान करने जा रहे थे, मगर उससे पहले ही रजनीकांत ने राजनीति में न आने की घोषणा कर दी. रजनीकांत बीमारी के बाद कुछ दिन अस्पताल में भी रहे थे. अपनी बीमारी को ही रजनीकांत ने राजनीति में न आने की वजह बताया है. रजनीकांत ने कहा कि ये ईश्वर की तरफ से उनके लिए संदेश था.

रजनीकांत के राजनीति में न आने के फैसले के बाद से ही कुछ समर्थकों ने चेन्नई स्थित पोज गार्डन में उनके आवास पर नाराजगी का इजहार भी किया. कथित तौर पर 10 जनवरी को भी एक बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है. इसे लेकर चेन्नई उत्तर और दक्षिण जिला यूनिट की तरफ से कहा गया है कि सच्चे कार्यकर्ताओं को ऐसे किसी प्रदर्शन में नहीं जाना चाहिए और किसी ने हिस्सा लिया तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.

कमल हासन ने किया अरविंद केजरीवाल का शुक्रिया

तमिलनाडु की राजनीति और अभिनय की दुनिया के एक और सितारे यानी कमल हासन भी इस वक्त काफी चर्चा में हैं. लगातार ये जानकारी आ रही थीं कि वो रजनीकांत के साथ मिलकर तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. लेकिन रजनीकांत ने खुद ही राजनीति में आने से इनकार कर दिया है. इस बीच दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जो तमिल अकादमी की शुरुआत की है, उसके लिए कमल हासन ने अरविंद केजरीवाल का शुक्रिया अदा किया है.

बता दें कि दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग ने बीते रविवार को एक तमिल अकादमी की शुरुआत की है. इस अकामदी का उद्देश्य दक्षिण भारतीय भाषाओं और संस्कृति को दिल्ली में बढ़ावा देना है. इसकी मांग लगातार कई राजनीतिक पार्टियों की तरफ से भी की जाती रही है.