मुंबई। रिषभ पंत ने बेहद कम वक्त में टीम इंडिया में अपनी जगह अपने प्रदर्शन के दम पर पुख्ता कर ली है और वो बेहद सफल हैं। हालांकि कुछ वक्त पहले उनका प्रदर्शन काफी खराब हो गया था और टीम में उनकी जगह पर भी सवाल उठने लगे थे, लेकिन आस्ट्रेलिया दौरे पर मिले मौके को उन्होंने भुनाया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब रिषभ पंत ने बताया कि 2020-21 का आस्ट्रेलिया दौरा उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था क्योंकि उनकी बदौलत भारत एक मैच ड्रा कराने और दूसरा जीतने में सफल रहा जबकि यह विकेटकीपर बल्लेबाज दर्द निवारक इंजेक्शन लगाकर खेल रहा था।

चौबीस साल के पंत ने सिडनी और ब्रिसबेन में अंतिम दो टेस्ट में अपनी दो शानदार पारियां खेली जिससे चोटों से जूझ रही भारतीय टीम पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए सीरीज जीतने में सफल रही। हालांकि इससे पहले रिषभ पंत के लिए सब कुछ अच्छा नहीं रहा था और 2019 विश्व कप से पहले इस आक्रामक विकेटकीपर बल्लेबाज को भारत की सीमित ओवरों की टीम से बाहर कर दिया गया था। ड्रीम इलेवन के यूट्यूब चैनल पर महिला टीम की क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स से बात करते हुए पंत ने याद किया कि कैसे टीम से बाहर किए जाने के बाद उन्होंने सभी से बात करना बंद कर दिया था।

रिषभ पंत ने कहा कि मैं किसी से भी बात नहीं कर रहा था, यहां तक कि अपने परिवार और दोस्तों के साथ भी नहीं। मुझे अकेले समय बिताने की जरूरत थी। मैं प्रत्येक दिन अपना दो सौ प्रतिशत देना चाहता था। इसे अपने जीवन का सबसे मुश्किल समय करार देते हुए इस क्रिकेटर ने कहा कि मैं सोच रहा था कि अब क्या होगा। मैं 22-23 साल का था। यह मानसिक रूप से मेरे जीवन का सबसे मुश्किल दौर था। मैं सोच रहा था कि अब क्या होगा।उन्होंने कहा कि अचानक सब कुछ रुक गया-आपको दो प्रारूप से बाहर कर दिया गया। शोर बढ़ता जा रहा था। सभी मुझे कह रहे थे कि यह संभव नहीं है। लेकिन साथ ही मैं अकेला बैठकर सोच रहा कि व्यक्तिगत रूप से अब मुझे क्या करना है।

रिषभ पंत बाद में जोरदार वापसी करने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में सिर्फ यही विचार आ रहा था कि चाहे कुछ भी हो मुझे प्रत्येक दिन कड़ी मेहनत करनी है। आप अपना दो सौ प्रतिशत दो। हम नतीजे को स्वीकार करेंगे, चाहे कुछ भी हो।  पंत ने कहा कि मैं स्वयं से कह रहा था कि मेरे पास कोई विकल्प नहीं, मुझे अच्छा प्रदर्शन करना होगा। मुझे भारत को जिताना होगा। आपको बता दें कि आस्ट्रेलिया पर भारत की 2-1 की जीत के दौरान पंत टीम इंडिया की ओर से शीर्ष स्कोरर रहे। उन्होंने पांच पारियों में 274 रन बनाए और उनका औसत 68.50 रहा। एडीलेड में गुलाबी गेंद के टेस्ट में रिद्धिमान साहा के चोटिल होने के बाद पंत को अंतिम एकादश में शामिल किया गया था।